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'रक्षा ​​विनिर्माण में गेम चेंजर साबित होगा निजी क्षेत्र'

भारत की डिफेंस इंडस्ट्रीज़ ने अपेक्षाओं से बढ़कर परिणाम दिए-रक्षामंत्री

स्वदेशी उपकरणों की सफलता से विश्व में देश की प्रतिष्ठा और मजबूत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 28 October 2025 12:37:32 PM

defense minister says private sector will prove to be a game changer in the defense sector

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा हैकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने देश में बने रक्षा उपकरणों का प्रभावी उपयोग करके क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर भारत की प्रतिष्ठा को और ज्यादा मजबूत किया है। उन्होंने कहाकि निजी क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होगा और घरेलू उद्योगों से नवाचार अनुसंधान एवं विकास, प्रौद्योगिकी आधारित विनिर्माण, व्यक्तिगत उपप्रणालियों और घटकों के उत्पादन, आपूर्ति एवं रखरखाव श्रृंखलाओं पर प्रभुत्व पर ध्यान केंद्रित करके रक्षा विनिर्माण आत्मनिर्भरता में और तेज़ी लाने का आग्रह किया। रक्षामंत्री दिल्ली में 'रक्षा आत्मनिर्भरता: स्वदेशी उद्योग से राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करना' विषय पर सोसाइटी ऑफ़ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के वार्षिक सत्र को संबोधित कर रहे थे। रक्षामंत्री ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने भारत की आकाश मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस, आकाश तीर वायु रक्षा नियंत्रण प्रणाली और अन्य स्वदेशी उपकरणों की शक्ति देखी, इस सफलता का श्रेय बहादुर सशस्त्र बलों केसाथ नवाचार, डिज़ाइन और विनिर्माण के क्षेत्रमें अग्रिमपंक्ति में काम करने वाले उद्योग योद्धाओं को जाता है। उन्होंने भारतीय उद्योग जगत को थलसेना, नौसेना और वायुसेना केसाथ रक्षा के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक बताया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि ऑपरेशन सिंदूर एक केस स्टडी है, इससे हम अपनी भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि इस घटनाक्रम ने हमें एकबार फिर दिखाया हैकि हमारी सीमाओं पर कहीं भी, कभीभी कुछभी हो सकता है, हमें युद्ध जैसी स्थिति केलिए तैयार रहना है और हमारी तैयारियां हमारी अपनी नींव पर आधारित होनी चाहिएं। रक्षामंत्री ने कहाकि वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताएं और निरंतर विकसित होते रक्षा क्षेत्र, युद्ध की प्रकृति से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने केलिए 'स्वदेशीकरण' ही एकमात्र उपाय है। उन्होंने कहाकि स्थापित विश्व व्यवस्थाएं कमज़ोर हो रही हैं और कई क्षेत्रोंमें संघर्ष बढ़ रहे हैं, इसलिए भारत केलिए अपनी सुरक्षा रणनीति को नए सिरे से परिभाषित करना आवश्यक हो गया है। राजनाथ सिंह ने बतायाकि नरेंद्र मोदी सरकार रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने और घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने केलिए समान अवसर प्रदान कर रही है और उद्योग जगत को इस अवसर का पूरा लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहाकि हम यह सुनिश्चित कर रहे हैंकि रक्षा उपकरणों की न केवल देश में असेंबली हो, बल्कि 'मेड इन इंडिया, मेड फॉर द वर्ल्ड' को मूर्तरूप देने वाले उपकरणों के निर्माण हेतु एक वास्तविक विनिर्माण आधार स्थापित हो।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि क्वांटम मिशन, अटल नवाचार मिशन और राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन जैसी कई पहल की गई हैं। उन्होंने कहाकि हमारे उद्योग जगत को वह हासिल करना होगा, जो देश में अभीतक हासिल नहीं हुआ है। रक्षामंत्री ने कहाकि 2014 से पहले भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों केलिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर था, लेकिन आज वह अपनी धरती पर ही रक्षा उपकरणों का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहाकि हमारा रक्षा उत्पादन, जो 2014 में केवल लगभग 46000 करोड़ रुपये था, अब बढ़कर रिकॉर्ड 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें से 33000 करोड़ रुपये का योगदान निजी क्षेत्र ने किया है। उन्होंने कहाकि हमारा रक्षा निर्यात लगभग 24000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड को छू गया है, मार्च 2026 तक रक्षा निर्यात 30000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। रक्षामंत्री ने कहाकि हमने हालही में रक्षा खरीद नियमावली 2025 लॉंच की है और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 को संशोधित करने का काम चल रहा है। उन्होंने निजी क्षेत्रसे अगले तीन वर्ष में घरेलू रक्षा विनिर्माण में अपने योगदान को वर्तमान लगभग 25 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत करने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत से आग्रह कियाकि वे आपूर्ति श्रृंखलाओं और रखरखाव श्रृंखलाओं पर अपना दबदबा बनाए रखें और केवल सम्पूर्ण प्लेटफ़ॉर्म ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत उपप्रणालियों और कलपुर्जों के स्वदेशी निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने कहाकि आजके समय में जब हम विदेशों से बड़े उपकरण खरीदते हैं तो उनके रखरखाव, मरम्मत, ओवरहाल और स्पेयर पार्ट्स प्रबंधन का उनके पूरे जीवनचक्र में महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहाकि इससे हमारे संसाधनों पर दबाव पड़ता है और दूसरे देशों पर निर्भरता बढ़ती है, चूंकि किसी प्लेटफ़ॉर्म में बड़ी संख्या में कलपुर्जे और इनपुट होते हैं, इसलिए इन उपप्रणालियों का स्वदेशी निर्माण हमारी स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने में मदद कर सकता है। रक्षामंत्री ने कहाकि हमें यह सुनिश्चित करना होगाकि 'हमारी मिट्टी, हमारा कवच' हमारी पहली पसंद बने। रक्षामंत्री ने कहाकि हमारा उद्देश्य केवल भारत में असेंबली करना नहीं, बल्कि देश के भीतर ही तकनीक आधारित विनिर्माण विकसित करना होना चाहिए। उन्होंने कहाकि हमें यह सुनिश्चित करना होगाकि कोईभी तकनीकी हस्तांतरण प्रभावी हो और हमारे स्वदेशी उद्योगों को सशक्त बनाने का माध्यम भी बने।
राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत से बड़े पैमाने पर संपूर्ण तकनीकी उत्पाद विकसित करने का आह्वान किया, क्योंकि एसआईडीएम अगले साल एक दशक पूरा कर रहा है और आईडीईएक्स व एडीआईटीआई के माध्यम से हमारे युवा नवप्रवर्तकों और उद्योगपतियों को चुनौतियां या समस्याएं दी जाती हैं। उन्होंने कहाकि उद्योग जगत को अब बड़े पैमाने पर संपूर्ण तकनीकी उत्पाद विकसित करने और उन्हें हमारे पास लाने की चुनौती स्वीकार करनी चाहिए, हम उनपर चर्चा करेंगे और कमियों को दूर करेंगे। राजनाथ सिंह ने कहाकि हमारा प्रयास निजी क्षेत्र केसाथ सहयोग करके आगे बढ़ना है, अगर हम मिलकर काम करेंगे तो रक्षा क्षेत्र का पूरा परिदृश्य बदल जाएगा। इस अवसर पर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, एसआईडीएम के अध्यक्ष राजिंदर सिंह भाटिया, एसआईडीएम के महानिदेशक रमेश के, एसआईडीएम के पूर्व अध्यक्ष एसपी शुक्ला, सशस्त्र बलों और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, उद्योग जगत के नेता और बड़ी संख्या में युवा उद्यमी उपस्थित थे।

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