नृत्य कलाओं में एकजुटता, उपचार और प्रेरणा शक्ति-उपराष्ट्रपति
संगीत नाटक अकादमी में भारतीय नृत्य पर अंतर्राष्ट्रीय महोत्सवस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 22 October 2024 05:18:28 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संगीत नाटक अकादमी में संस्कृति मंत्रालय और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सहयोग से आयोजित भारतीय नृत्य पर अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में भारत की सांस्कृतिक समृद्धि की सराहना करते हुए कहा हैकि भारत ललित कलाओं की सोने की खान है। उन्होंने कहाकि नृत्य कलाओं में एकजुटता, उपचार और प्रेरणा की शक्ति होती है, नृत्य कलाकार शांति के दूत होते हैं, जो संवाद को बढ़ावा देते हैं और शांत कूटनीतिक युद्धाभ्यास केलिए आधार तैयार करते हैं। उन्होंने कहाकि नृत्य सांस्कृतिक कूटनीति का एक बड़ा पहलू है, जो सीमाओं के पार आपसी समझ और संबंधों को बढ़ावा देता है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि हमारा सांस्कृतिक पुनरुत्थान प्राचीन ज्ञान को समकालीन प्रथाओं केसाथ एकीकृत करता है, जिससे भारत की सांस्कृतिक महाशक्ति के रूपमें छवि और मजबूत होती है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि दुनिया ने हमारी इस छवि को भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान हमारी संस्कृति के प्रदर्शन के रूपमें देखा। उन्होंने कहाकि संस्कृति, नृत्य और संगीत मानवजाति की सार्वभौमिक भाषाएं हैं, जिन्हें विश्वस्तर पर समझा और सराहा जाता है। उपराष्ट्रपति ने महाकाव्यों के माध्यम से वैश्विक संस्कृति पर भारत के ऐतिहासिक प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहाकि कला प्रभुत्व को परिभाषित नहीं करती, यह एकीकरण को परिभाषित करती है। उन्होंने उल्लेख कियाकि रामायण का दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रसार जो अंगकोर वाट में दिखाई देता है, हमारी सांस्कृतिक कूटनीति का प्रमाण है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जब उन्होंने अंगकोर वाट का दौरा किया तो जटिल नक्काशी देखकर दंग रह गए, ऐसा लगता है जैसे पत्थर बोल रहा हो, यह सांस्कृतिक कूटनीति केलिए भारतीय कला की क्षमता को दर्शाता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अतीत में दमन के दौरमें भारत की कलात्मक परंपराओं के सामने आई चुनौतियों पर कहाकि लगभग 400-500 साल पहले हमारे इतिहास में एक समय था, जब हमारी सबसे कीमती सांस्कृतिक धरोहरों को उस समय के आक्रांता शासकों ने उनके मूल्यों के विपरीत मानते हुए त्याग दिया था, लेकिन जिन लोगों ने नृत्य और संगीत को आगे बढ़ाया, उन्हें हमेशा उच्च सम्मान दिया गया। जगदीप धनखड़ ने भारत के प्रत्येक क्षेत्र की अनूठी सांस्कृतिक पहचान का उल्लेख करते हुए कहाकि इस महान भूमि के प्रत्येक भाग में जिले से जिले तक आपको एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान मिलेगी 'एक जिला, एक उत्पाद' की तरहही हमें नृत्य, संगीत और कला की स्थानीय परंपराओं पर जोर देते हुए 'एक जिला, एक सांस्कृतिक कार्यक्रम' को मान्यता देनी चाहिए। उन्होंने कहाकि नृत्य कलाएं न केवल भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में योगदान देती हैं, बल्कि देश के युवाओं के पोषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि युवाओं को नृत्य, संगीत और कलाओं में शामिल करने से उन्हें नशीली दवाओं के उपयोग जैसी हानिकारक आदतों से दूर रहने और सकारात्मक, रचनात्मक प्रयासों केसाथ जुड़ने में मदद मिलेगी, कला के माध्यम से पोषित मानवता की सकारात्मकता और कल्याण हमारे समाज की समग्र भलाई में योगदान देगा।
भारत की जीवंत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने मानाकि यूनेस्को ने कालबेलिया, गरबा और चाउ सहित आठ भारतीय नृत्य शैलियों को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूपमें मान्यता दी है। उन्होंने कहाकि यहतो बस शुरुआत है, भारत की कलात्मक विरासत इन आठ शैलियों से कहीं आगे तक फैली हुई है और हमें यह सुनिश्चित करने केलिए काम करना चाहिएकि कम प्रसिद्ध नृत्य शैलियों को भी संरक्षित करके उन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सके। जगदीप धनखड़ ने कहाकि इन 10 वर्ष में भारतीय कला क्षेत्रमें प्रतिष्ठित और योग्य व्यक्तित्वों सम्मानित किया जाना सराहनीय और सुखद अनुभव है, इससे हमें रोज़मर्रा की ज़िंदगी की चुनौतियों से पार पाने और अपनी अदम्य भावना को पोषित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी के प्रयासों की सराहना की और कहाकि हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में अकादमी के निरंतर कार्य इन परंपराओं को आगे लाने में अमूल्य हैं। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा सांसद हेमा मालिनी, संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुणीश चावला, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ संध्या पुरेचा, पद्मविभूषण से सम्मानित डॉ पद्मा सुब्रमण्यम, विभिन्न कलाकार और गणमान्य नागरिक मौजूद थे।