तिरुवनंतपुरम में नौसेना दिवस की परेड में पहुंचीं राष्ट्रपति
'नौसेना दिवस नि:स्वार्थ सेवा व सर्वोच्च बलिदान का उत्सव'स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 4 December 2025 12:20:55 PM
तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु नौसेना दिवस-2025 पर तिरुवनंतपुरम पहुंचीं और समारोहपूर्वक आयोजित भारतीय नौसेना के परिचालन प्रदर्शन का अवलोकन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहाकि नौसेना दिवस नि:स्वार्थ सेवा और सर्वोच्च बलिदान का उत्सव है। उन्होंने कहाकि भारत की समुद्री विरासत नई नहीं है, यह चोल और चेर बेड़ों, छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर कुंजली मराक्करों तक सभ्यतागत स्मृति से प्रवाहित होती है। राष्ट्रपति ने कहाकि केरल राज्य की भी एक गौरवशाली समुद्री विरासत है, इसके योद्धाओं ने सोलहवीं शताब्दी में यूरोपीय आक्रमण के विरुद्ध तट की रक्षा की थी। उन्होंने उल्लेख कियाकि मुज़िरिस का प्राचीन बंदरगाह उन महत्वपूर्ण प्रवेश द्वारों में से एक था, जिसके माध्यम से भारत विश्व केसाथ संपर्क स्थापित करता था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि नौसेना दिवस हमारी मातृभूमि की रक्षा में नौसेना कर्मियों की नि:स्वार्थ सेवा और सर्वोच्च बलिदान का उत्सव है। उन्होंने कहाकि भारत की जनता राष्ट्र केप्रति अनुकरणीय सेवाओं केलिए भारतीय नौसेना के जवानों केप्रति कृतज्ञ है। उन्होंने नौसैनिकों की व्यावसायिकता, लगन और देशभक्ति की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने जिक्र कियाकि हिंद महासागर क्षेत्र एक अत्यंत सामरिक और महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र है, यह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार का एक माध्यम है। उन्होंने कहाकि चूंकि भारत हिंद महासागर के केंद्र में है, इसलिए हम महासागरों को मुक्त, स्थिर और नियम आधारित बनाए रखने के विचार केलिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहाकि 'वसुधैव कुटुम्बकम' के अनुरूप भारत का दृष्टिकोण प्रतिस्पर्धात्मक के बजाय सहयोगात्मक है। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारा देश साझा जागरुकता, क्षमता निर्माण और समुद्रों के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा दे रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि नौसेना हमारे समुद्रों की सुरक्षा में प्रमुख भूमिका निभाती है। उन्होंने कहाकि खतरों को रोकने से समुद्री डकैती से निपटने तक, हमारे विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा से लेकर नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने तक नौसेना की भूमिका पारंपरिक रक्षा से कहीं आगे तक फैली हुई है। राष्ट्रपति ने कहाकि नौसेना भारत के मानवीय पहलू का भी उदाहरण है, हिंद महासागर क्षेत्रमें संकटों के दौरान इसने नागरिकों को निकालना, सहायता प्रदान करना और मानवीय सहायता पहुंचाने के कार्य में प्रथम सहायता प्रदानकर्ता के रूपमें कार्य किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि सागर परिकल्पना के अंतर्गत की गई नई पहल समुद्री क्षेत्रमें जागरुकता बढ़ाएगी, मानवीय सहायता प्रदान करेगी और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत सतत विकास के प्रेरक के रूपमें समुद्री अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) की क्षमता का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि समुद्री मार्गों को सुरक्षित करके, समुद्री संसाधनों की रक्षा करके, अवैध गतिविधियों को रोककर और समुद्री अनुसंधान को सहायता देकर नौसेना सुरक्षित, समृद्ध और टिकाऊ महासागरों की हमारी परिकल्पना को मजबूत करती है। राष्ट्रपति ने कहाकि आधुनिकीकरण केसाथ-साथ नई तकनीकों का विकास और अनुकूलन किसीभी सशस्त्रबल की युद्ध तत्परता केलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहाकि भारतीय नौसेना देशमें ही जटिल प्लेटफार्मों के डिज़ाइन और निर्माण की क्षमता का प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने यह विश्वास भी व्यक्त कियाकि भारतीय नौसेना स्वदेशी तकनीकों का विकास जारी रखेगी और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगी।