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लखनऊ। इमाम काउंसिल ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का समर्थन करने का ऐलान करते हुए अपील की है कि सांप्रदायिक शक्तियों को परास्त करने के लिए यूपी में समजावादी पार्टी प्रत्याशियों को वोट दें और यूपी के बाहर बाकी धर्मनिरपेक्ष शक्तियों के लिए मतदान करें। काउंसिल के इमामों ने सपा के लीडर आजम खां की सपा के खिलाफ मुहिम को पूरी तरह से खारिज करते हुए उनसे पूछा है कि वे दोगली बात क्यों कर रहें हैं और कब से कल्याण सिंह के खिलाफ हैं?
काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना मकसूदुल हसन काज़मी और उनके साथ मंच पर बैठे मुकसती अफरोज आलम काशमी, मुफती अयाज मजाहिरी, मुफती ताहिर मजाहिरी, मौलाना नजाकत अली उस्मानी और कारी गुलाम नबी मजाहिरी ने एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी कौम से सवाल किया कि क्या हिंदुस्तानी मुसलमानों को ऐसी सियासी पार्टियों को वोट देना चाहिए जो कि खुल्लम-खुल्ला उनकी दुश्मन हैं, और जिनके लीडर अवामी रैलियों में मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हैं, और अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसी बातों को शामिल करते हैं, जिनसे मुसलमानों के खिलाफ हिंदुभाइयों के दिलों में नफरत पैदा होती है।
मौलाना ने कहा कि मुसलमान भाई बसपा का कतई समर्थन न करें क्योंकि बसपा अध्यक्ष मायावती गुजरात के मुसलमानों के कत्लेआम के जिम्मेदार मोदी की हिमायत करने के लिए स्वयं गुजरात गई थी, और उन्होंने लोगो से विशेष कर दलितों से नरेंद्र मोदी को वोट देने की अपील की थी और दलितों के सारे वोट नरेंद्र मोदी को दिलवाए थे जिसकी वजह से नरेंद्र मोदी को दूसरी बार जीत हासिल हुई। मायावती के शासन में यूपी के मुसलमान पिछले दो साल में इंतहाई परेशानी के आलम में जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं। यूपी की महिला मुख्यमंत्री होते हुए उनकी पार्टी के एक एमएलए के भाई ने मुस्लिम औरतों की अस्मत दरी की और पूरे गांव की मुस्लिम औरतों को नंगा करके घुमाया। इन दो साल के शासन में कारोबरी मुसलमानों की जिंदगी जहन्नुम बना दी गई गोश्त के बड़े-बड़े व्यापारियों की गोश्त की फैक्टरियां धड़ल्ले से चल रही हैं जबकि आम मुसलमान किसानों की जिंदा बैलों और दूसरे जानवरों को लेकर पुलिस की मिली भगत से फिरका परस्त पार्टियों से जुड़े लोग मुसलमानों को परेशान किये हुए है।
इमाम काउंसिल ने मुफतियान-ए-कराम से गुजारिश की है कि बराहे करम हिंदुस्तानी मज़लूम मुसलमानों की मौजूदा हालते जार और उन पर खुल्लम खुल्ला जुल्म सितम ढ़ाने वाली सियासी पार्टियों से संबंध तोड़ें और ऐसी मुस्लिम दुश्मन सियासी पार्टियों को बहुमत से दूर रखने के लिए पूरी ताकत लगा दे जो उनकी जान व माल और इज्जत-ओ-आबरू की दुश्मन है। इस तरह की पार्टियों को वोट देना जायज है या नही इस सवाल की रोशनी में मुफतियाने कराम अपने जवाब से नवाजें।
मौलाना ने कहा कि बदकिस्मती की बात यह है कि हमारे मुल्क में कुछ पार्टियां मुस्लिम दुश्मनी का खुलकर इजहार करती है, और मुसलमानों के खिलाफ हिंदुभाईयों में नफरत पैदा करती हैं। हुकूमत में आने के बाद सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल करके मुसलमानों को टार्चर करती है। इन हालात में भाजपा, शिवसेना, और बसपा जैसे सांप्रदायिक दलों को बिल्कुल वोट न दें, बल्कि उन सेक्यूलर पार्टियों को बहुमत दिलाने की कोशिश करें जो पहले से ही मुसलमानों के लिए इंसाफ पसंद रही है। जिसमें समाजवादी पार्टी है। इसकी धर्म निरपेक्षता और हिंदु मुस्लिम भाईचारा जग जाहिर है। अपने दौरे हुकूमत में सपा ने मुसलमानों के साथ इंसाफ किया। इसलिए काउंसिल अपील करती है कि खास तौर पर यूपी में समाजवादी पार्टी को वोट दिया जाए। उलेमाओं ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख लीडर मोहम्मद आजम खां की अपने ही दल के खिलाफ मुहिम को खारिज करते हुए कहा कि आजम खां गतिविधियों से सांप्रदायिक शक्तियों को बढ़ावा मिल रहा है। जहां तक कल्याण सिंह का सवाल है तो बीजेपी को कमजोर करने का इससे बेहतर रास्ता नही हो सकता था। मुसलमानों को मुलायम सिंह यादव के कदम से कोई शिकायत नहीं है वैसे भीकल्याण सिंह सपा में शामिल नही किए गए हैं जो आजम खां इतनी बड़ी बात बना रहे हैं।