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'महामाया योजना भ्रष्टाचार का स्रोत'

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि मुख्यमंत्री मायावती ने गरीबों को छलने और अपने वोट बैंक को पुख्ता करने के लिए महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना चलाई है। इससे गरीबों का भला होने वाला नहीं है, हां, उनके नाम पर भ्रष्टाचार का एक नया स्रोत अवश्य खुल जाएगा। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि जब मंहगाई चरम पर हो तो ऐसे में तीन सौ रूपए की मासिक सहायता ऊंट के मुंह में जीरा की कहावत चरितार्थ करने वाली है। यह आर्थिक मदद आगामी चुनाव के लिहाज से बंटेगी जिसका फायदा बसपा कार्यकर्ता उठाएंगे। यह एक तरह से वोटो को खरीदने की सुनियोजित चाल है। सरकार बहुजन हिताय सर्वजन सुखाय मंत्र जाप बहुत जोर शोर से करती है किन्तु हकीकत में तो यह सिर्फ दिखावे और भरमाने के लिए ही है।

सपा का कहना है कि प्रदेश की बसपा सरकार की गरीबों की मदद की कथित योजना मायाजाल का ही हिस्सा है क्योंकि सरकारी घोषणा के अनुसार लाभार्थी को ये 300 रूपए की मासिक सहायता भी बैकों से 1800-1800 रूपए की छमाही किस्तों में मिल सकेगी। सरकार की नीयत साफ नहीं है। बसपा सरकार की हर योजना के पीछे लूट और कमीशन की गुंजाइश रहती है। मुलायम सिंह यादव की सरकार में योजनाएं भी बनती थीं और उनका बिना जातिभेद के पारदर्शी तरीके से क्रियान्वयन होता था। प्रदेश सरकार सत्ता का दुरूपयोग कर अनुत्पादक कार्यो, स्मारकों, पार्को आदि में पत्थर लगाकर और अपनी प्रतिमाएं स्थापित कर राजकोष लुटा रही है। उसने प्रदेश के विकास के काम को ठप्प कर दिया है। लोकतंत्र के सभी मूल्यों को ध्वस्त कर दिया है। गरीबों के नाम पर योजनाओं का एलान कर उनकी गरीबी का मजाक उड़ाना निन्दनीय है।

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