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उप्र में खराब कानून व्यवस्था

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने राज्य की कानून व्यवस्था पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह अत्यन्त गंभीर विषय है कि खुद राज्य के पुलिस महानिदेशक कर्मवीर सिंह ने एक दर्जन से ज्यादा जिलों की कानून व्यवस्था की स्थिति पर असंतोष जताया है। सपा का कहना है कि हॉलाकि पूरे प्रदेश में ही कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर है। राजधानी लखनऊ अपहरण, छेड़छाड़, लूट आदि अपराधों में बढ़त पर है। गुडम्बा के अतरोली गांव का 7 वर्षीय गौरव अगवा हो गया। लखनऊ में सीएमओ डॉ विनोद आर्य की मार्निंग वाक के समय हत्या का रहस्य दो हफ्ते में भी नहीं खुल पाया है। एक छात्रा की गुंडो ने उगलियां काट दीं। पर्स और चेन लूट की तो रोज ही घटनाएं होती हैं। शर्मनाक यह भी है कि खुद पुलिस वाले भी अब अवैध वसूली, मारपीट, नशे में उपद्रव करते नजर आते हैं। वरिष्ठजनों की जिन्दगी खतरे में है और महिलाओं का दिन में भी सड़क पर चलना सुरक्षित नहीं है।

सपा ने कहा है कि खुद डीजीपी कह रहे हैं कि गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, जौनपुर, वाराणसी, बहराइच, सुल्तानपुर, बाराबंकी और कानपुर में अपराधियों पर पुलिस का अंकुश नहीं है। बसपा के दबंगों ने आम आदमी का जीना दूभर कर रखा है। मुख्यमंत्री जघन्य अपराधियों को सज्जन पुरूष का खिताब देती हैं। ऐसे में पुलिस असहाय हो जाती है। लखनऊ और अन्य जनपदों में पिछले दिनों हुई कई हत्याओं का अभी तक कोई सुराग नहीं लग रहा है। पुलिस बड़े लोगों पर हाथ डालने में संकोच करती है और वह कई बार दबंगों के पक्ष में ही खड़ी दिखाई देती है।

सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि राज्य सरकार का चरित्र गरीब विरोधी है, इसीलिए उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक आतंक और दबंगों के आतंक दोनों के बीच में पिस रही जनता को राहत देने में सरकार में कोई भी रूचि नहीं ले रहा है। प्रदेश सरकार की सत्ता के दुरूपयोग, भ्रष्टाचार और जनधन की लूट की तमाम शिकायतों के बावजूद उससे केन्द्र ने कभी जवाब तलब नहीं किया है और नहीं राज्यपाल ने इस जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी सरकार के खिलाफ रिपोर्ट भेजी है। अपराधी भयमुक्त और जनता भयाक्रांत, यही उत्तर प्रदेश की व्यथा-कथा है। जनता को इससे जल्दी से जल्दी छुटकारा मिलना चाहिए।

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