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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने बसपा सरकार पर केन्द्रीय रोजगार योजनाओं में भी बिचैलियों से डील करने और ग्राम प्रधानों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि मनरेगा जैसी ग्रामीण रोजगार योजना से भी मुनाफा कमाने के लिए मायावती सरकार ने अपनी चहेती निजी संस्थाओं को ठेका देने का शासनादेश जारी किया है। इस योजना से प्रधानों का अधिकार छीन लिया गया है जबकि मनरेगा का कामकाज संसद के कानून से संचालित होता है। इस तरह राज्य सरकार ने मुनाफा कमाने के लिए केन्द्रीय कानून का भी अतिक्रमण किया है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि बसपा समर्थित ग्राम प्रधानों के हार जाने के कारण सरकार ने प्रधानों से मनरेगा संचालन का अधिकार छीन लिया है और अपने चहेते गैर सरकारी संगठनों के जरिए धन का बंदरबाट करने की तैयारी की है। भाजपा इसका विरोध करेगी। प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्रीय कानूनों को प्रवर्तित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है, राज्यपाल को देखना चाहिए कि केन्द्रीय कानून को न मानकर ग्रामीण रोजगार योजना में भी ठेकेदारी चलाने के लिए स्थापित विधि के विरूद्ध शासनादेश की संवैधानिकता क्या है? राज्य के ग्राम विकास विभाग ने गैरसरकारी संगठनों को नोडल एजेन्सी का दर्जा दिया है जोकि मनरेगा प्राविधान के सर्वथा विरूद्ध है। ग्राम पंचायतें विधि निर्वाचित संवैधानिक संस्था होती हैं, गैर सरकारी संगठन निर्वाचित नहीं होते। अधिकारियों, प्रधानों के विरूद्ध कार्रवाई होती है, गैर सरकारी संगठनों पर कार्रवाई की प्रक्रिया जटिल है। मायावती सरकार ने केन्द्रीय रोजगार योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया है।