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लखनऊ। देवरिया जनपद में गोविन्दपुरा में पटनवां पुल के पास मंदिर की जमीन पर जबरिया कब्जे को लेकर 'पंजाबी बाबा' की हत्या या मौत का मामला तूल पकड़ रहा है। राज्य के सारे राजनीतिक दलों ने स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार मानकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। बसपा को छोड़कर कांग्रेस, भाजपा और सपा सहित सभी लोग इस घटना के खिलाफ लामबंद हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं का गोविंदपुरा में आना-जाना लगा हुआ है। पुलिस ने यहां पर कड़ी नाकेबंदी कर रखी है।
आरोप है कि बसपा के लोगों ने पंजाबी बाबा को मार डाला और सरकार इससे इंकार कर रही है। पुलिस की भूमिका यहां भी विलेन की ही रही जिसने इस मामले को रफा-दफा करने के चक्कर में उत्तेजित भीड़ पर गोली चला दी जिसमें मनोज पाल नाम के एक युवक की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। पुलिस क्षेत्राधिकारी और एसडीएम आक्रोशित जनता को शांत करने के बजाय उसे उत्तेजित करने के जिम्मेदार माने जाते हैं। जनता चाहती थी कि पंजाबी बाबा का शव उसे दे दिया जाए जबकि स्थानीय प्रशासन ने उसे बसपाईयों को उठाकर ले जाने दिया। इसी बात पर यहां पुलिस और जनता के बीच खूनी संघर्ष हुआ।
उप्र कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता सुबोध श्रीवास्तव ने कहा कि बसपा नेता एवं कार्यकर्ता जबरिया जमीन पर कब्जे किये जा रहे हैं। पंजाबी बाबा के मंदिर की जमीन पर कब्जा करने को लेकर बसपा कार्यकर्ता ने उनकी हत्या कर दी। इससे जनता में भारी आक्रोश था जिसे दबाने के लिए पुलिस ने जनता पर गोलियां चलाईं। पुलिस की गोली के शिकार निर्दोष युवक मनोज पाल की मौत को लेकर जनता आंदोलित है। कांग्रेस का कहना है कि बसपा में अपराधियों की भरमार है और पुलिस प्रशासन ऐसे अपराधियों का भरपूर सहयोग कर रहा है। कांग्रेस ने मृतक के परिजन को दस लाख रूपये, परिजन को नौकरी एवं घायलों को पांच-पांच लाख रूपये मुआवजा दिए जाने और बसपा के विधानसभा प्रभारी को अविलम्ब गिरफ्तार करने एवं दोषी एसओ, सीओ और एसडीएम को सेवा से बर्खास्त करने की मांग की है।