विरल ब्रह्मांड विज्ञानी हैं। सृष्टि रहस्यों की खोज में उन जैसे तमाम वैज्ञानिक संलग्न हैं। बीसवीं सदी में विज्ञान पंख लगाकर उड़ा है। इक्कीसवीं सदी के डेढ़ दशक के भीतर ही वैज्ञानिक ईश्वरीय कण-गाड पार्टिकल तक उड़े हैं। विवेकानंद के व्याख्यानों का समय अलबर्ट आईंस्टीन के विशेष सापेक्षता सिद्धांत (1905) के पहले (1893-1897) का है। अद्वैत आश्रम से प्रकाशित विवेकानंद साहित्य (खंड 5 पृष्ठ 22-23) में स्वामी...

धर्म सभा में मुसलमानों से विनम्र अपील की गई है कि वे वसंत पंचमी पर अपनी नमाज़ माँ सरस्वती मंदिर भोजशाला में न अताकर, किसी अन्य स्थान पर अताकर सामाजिक सद्भावना की मिसाल कायम करें। पंद्रह फरवरी शुक्रवार को वसंत पंचमी को भोजशाला में पूरे दिन पूजा ही हो, इस हेतु राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हजारों हस्ताक्षर...

इंदौर के नाथ मंदिर में 22 जनवरी को एक विशाल धर्म सभा का आयोजन कर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। पञ्च खंड पीठाधीश्वर समर्थ गुरुपाद आचार्य धर्मेंद्र महाराज, राष्ट्रवादी चिंतक गोविंदाचार्य, हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ चारुदत्त पिंगले ने संबोधित किया। धर्म सभा के बाद रैली निकाल कर ज्ञापन सौंपा गया।...

राष्ट्रवादी चिंतक गोविंदाचार्य एवं हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ चारुदत्त पिंगले आज जेल पहुंच कर 2006 से जेल में कैद भोजशाला आंदोलन से जुड़े चदवाद के कार्यकर्ताओं से मिले और भोजशाला में माँ वाग्देवी के दर्शन कर पत्रकारों से कहा कि सरकार ध्यान देकर हिंदुओं को उनका मौलिक अधिकार प्रदान करे। डॉ पिंगले...
मनुष्य की अपनी उपलब्धि है। वह परंपरा में जीता है और परंपरा का विकास भी करता है। भारत हजारों वर्ष प्राचीन राष्ट्र है, इसलिए हिंदू परंपरा का प्रसाद विराट है। यह सहज उपलब्ध है, लेकिन सबको नहीं मिलता। इसे अर्जित करना पड़ता है। यों परंपरा प्रसाद मुफ्त का माल है, तो भी इसे पाने के लिए कुछ न कुछ जतन तो करने ही होते हैं। पहला प्रयास है-प्रसाद पाने की इच्छा। गहरी इच्छा कर्म में ठेलती है, तब इसके...

क्रिसमस पर बेतहसदा फैलोशिप चर्च (दया का घर) ने उत्सव गेस्ट हाऊस, बाराबिरवा, कानपुर रोड लखनऊ में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें प्रभु ईसा मसीह की पैदाइश व जन्मोत्सव के गीतों को गाया गया एवं विभिन्न नाटकों का मंचन किया गया। बेतहसदा फैलोशिप चर्च के बिशप डॉ रामचरन सेत ने प्रभु के संदेशों को उजागर करते हुए कहा कि प्रभु ईसा...

सरोजनी नगर आवासीय समिति मैदान में सच स्वरूपा माँ जसजीत का प्रकाशोत्सव समारोह अत्यंत श्रद्धा भक्ति एवं हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। आज के ही दिन सन् 1993 में माँ को परमात्मा के दर्शन हुए तदोपरांत उन्होंने मानव सेवा का कार्य आरंभ किया। आज के समारोह में सच स्वरूपा माँ ने सुदूर प्रांतों से आए भक्तों को नव वर्ष की शुभकामनाएं...

दरअसल ऊर्जा का कोई भार नहीं होता। भाररहित सृष्टि होती नहीं। भार के कारण ही सृष्टि बनी। तब प्रश्न है कि भार कहां से आया? वैज्ञानिकों ने अब कुछेक ‘भारविहीन’-ऊर्जा कण भी देखे हैं। समझने के लिए कह सकते हैं कि कुछेक कणों में चेतना ऊर्जा तो है, लेकिन उनका शरीर नहीं। जैसे सभी प्राणियों में चेतना है, लेकिन अदृश्य है। शरीर दृश्य...

इस समय पूरी मानवजाति को मानसिक संघर्ष और दबाव से गुजरना पड़ रहा है। हमें सिर्फ नासरत के ईसा मसीह के पुनरुत्थान को याद रखना चाहिए कि किस प्रकार संसार की सारी शक्तियां नाकाम हो गईं, यहां तक कि मृत्यु की ताकत भी नाकाम हो गई और वह ईसा संसार में अकेला हो कर भी जीत गया। ईसा ने कहा-‘तुम सत्य को जानो, सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।’...

श्रीराम मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। वे लोकश्रुति में हैं। स्मृति में हैं। इतिहास में हैं। वे संज्ञा हैं, सर्वनाम हैं, वे भारत का मन हैं, अंतरंग हैं, बहिरंग हैं। प्रीति और प्यार हैं। रस हैं, छन्द हैं। गीत और काव्य हैं। प्रीति और अनुभूति हैं। तरूणाई और यौवन हैं। वे लोकआस्था में ब्रह्म हैं। मंगल भवन अमंगल हारी हैं। भारतीय इतिहास...
अंग्रेजों को वास्तव में इससे कोई लेना-देना नहीं था क़ि भारतीय यानी हिंदू चिंतन कितना श्रेष्ठ है। उन्हें तो केवल इसमें रुचि थी कि इसे धर्म के रूप में कैसे इस्लाम के खिलाफ खड़ा किया जा सकता है। हिंदू श्रेष्ठता के अहंकार में हिंदू (भारतीय) चिंतक भी उस जाल में फंसते गये, भारतीय सुधारक राजा राममोहन राय भी। इसका एक ही चारा है कि हम फिर से भारत और भारती को अपनाएं और अपनी सोच को पुन: सार्वभौम मानववाद...

क्या वे सवाल आज खत्म हो गए हैं कि आर्य समाज दुविधा में पड़ा हुआ है? यह नहीं माना जा सकता। जिन चुनौतियों से लड़ने के कारण आर्य समाज की पहचान बनी है वे मौजूद हैं। फिर भी आंदोलन में कोई दम नहीं दिखता। इसके कारण कुछ गहरे हैं। उन्हें पहचाने बिना आर्य समाज को जिन्दा नहीं किया जा सकता।...

आध्यात्मिक शक्तिपीठों और पीठाधीश्वरों की सुरक्षा जैसे मामलों की घोर उपेक्षा हो रही है, यह किसी से नही छिपा है। मगर क्या वास्तव में यह सच लगता है कि ये प्रतिक्रियावादी हैं? जातियों में बटे इस दौर में सामाजिक समरसता और सामाजिक न्याय का इससे बेहतर मेल और उदाहरण और क्या चाहिए? देवी पाटन आकर देखिए!...

हज और उमरा के लिए अब वही लोग जा सकेंगे जिनकी हैसियत आलीशान फाइव स्टार होटलों के किराए की शक्ल में लाखों रूपए अदा करने की होगी। इतना ही नहीं हरम के एतराफ में अब दो-पांच और दस रियाल में सर भी नहीं मुड़ाया जा सकेगा, क्योंकि हालात इतने खराब हैं कि उमरा करने के बाद अल्लाह के घर के एतराफ में नाई और चाय की एक दुकान तक नहीं बची।...

श्रीकृष्ण ने दुनिया को इस संसार को जीने का सलीका बताया है। पाश्चात्य देश श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेते हैं कि जीवन कैसे जिया जाए। भाद्रप्रद के आते ही यहां के मंदिर सज-धज रहे हैं और ब्रज श्रीकृष्ण के जन्म की तैयारियों में जुटा हुआ है।...