विज्ञान की व्याख्या आम लोगों की भाषा हो-प्रो. आशुतोष
कोविड कथा के हिंदी संस्करण की भी मांग पूरी हुईस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 28 May 2020 03:40:37 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने डॉ अनामिका रे मेमोरियल ट्रस्ट के सहयोग से कोविड-19 महामारी पर जन जागरुकता फैलाने के लिए सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाली लोकप्रिय मल्टीमीडिया गाइड का हिंदी संस्करण जारी किया है। इसका अंग्रेजी संस्करण पहले ही इस महीने की शुरुआत में जारी किया जा चुका है। विशेष रूपसे हिंदी पट्टी के लोगों की कोविड कथा के हिंदी संस्करण की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से कोविड कथा के हिंदी संस्करण को अतिरिक्त और संशोधित जानकारी के साथ लेकर जारी किया गया है, जिससे लोग इसका समुचित लाभ उठा सकें।
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कोविड कथा की सराहना करते हुए कहा है कि आम लोगों में जागरुकता के लिए उन्हीं की भाषा में विज्ञान की व्याख्या करना महत्वपूर्ण है चूंकि हिंदी व्यापक स्तर पर बोली जाने वाली भाषा है, इसलिए कोविड कथा का हिंदी संस्करण बहुत ज्यादा महत्व रखता है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक संदेश देने और स्वास्थ्य अवधारणाओं को साधारण तरीके से समझाते समय विज्ञान कार्टून (साइंटूंस) में हास्य और मनोरंजन भी जुड़ा हुआ है, वर्तमान स्वास्थ्य संकट के दौरान लोग तनाव महसूस कर रहे हैं, जिसमें हास्य और मनोरंजन भी जरूरी है। मल्टीमीडिया तकनीकों और डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके कोविड-19 के संबंध में सामान्य जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से भारत सरकार का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग लोगों को उपयुक्त ज्ञान और विश्वास से महामारी को समझने और उससे निपटने में सहायता प्रदान करने के लिए एक इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक गाइड को प्रस्तुत किया है।
दिलचस्प बात यह है कि देशभर में एक जनसमर्थित कोविड कथा अभियान की शुरुआत की गई है और यह एक श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया का रूप ले रही है। कोविड कथा का मेघालय की खासी भाषा में अनुवाद किया जा रहा है, इसका तमिल संस्करण भी आ रहा है, बंगाली और असमिया संस्करणों पर भी काम हो रहा है। कोविड कथा में विभिन्न विज्ञान संचार उत्साहवर्धकों को प्रभावी रूपसे विभिन्न प्रारूपों में एक साथ रखने का प्रयास किया जा रहा है यानी कि फ्लिप संस्करण, एनिमेशन, वीडियो और अन्य प्रारूप। कई आधिकारिक एजेंसियां अपने सोशल मीडिया और जनसंचार अभियानों में कोविड कथा के विभिन्न तत्वों का भी उपयोग कर रही हैं, यानी क्या करें और क्या नहीं करें, साइंटूंस, प्रत्येक दिन एक वर्णमाला का उपयोग करके दैनिक जानकारी प्राप्त करना आदि। कोविड कथा के हिंदी और अन्य भाषाओं के संस्करणों के माध्यम से जागरुकता को जमीनी स्तर पर प्रचार-प्रसार करने में मदद मिलेगी।