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मानवाधिकार की रक्षा करना सबका कर्तव्य-राष्ट्रपति

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दिल्ली में मानवाधिकार दिवस समारोह

'मानवाधिकार न्यायपूर्ण, समतावादी और करुणामय समाज की नींव'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 10 December 2025 04:54:57 PM

president droupadi murmu

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रत्येक नागरिक से यह समझने का आह्वान किया हैकि मानवाधिकार केवल सरकारों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नागरिक समाज संगठनों और ऐसे अन्य संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं हैं। उन्होंने कहाकि अपने नागरिकों के अधिकारों और गरिमा की रक्षा करना एक साझा कर्तव्य है, एक दयालु और जिम्मेदार समाज के सदस्य के रूपमें यह कर्तव्य हम सबका है। राष्ट्रपति आज मानवाधिकार दिवस पर दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहाकि मानवाधिकार दिवस हमें यह याद दिलाता हैकि सर्व-जन मानवाधिकार अलग नहीं किए जा सकते हैं, वे एक न्यायपूर्ण, समतावादी और करुणामय समाज की आधारशिला हैं। उन्होंने उल्लेख कियाकि सतहत्तर वर्ष पहले विश्व एक सरल, लेकिन क्रांतिकारी सत्य को व्यक्त करने केलिए एकजुट हुआ थाकि प्रत्येक मनुष्य गरिमा और अधिकारों में स्वतंत्र और समान पैदा होता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि मानवाधिकार हमारे संविधान की परिकल्पना में निहित हैं, मानवाधिकार सामाजिक लोकतंत्र को बढ़ावा देते हैं, मानवाधिकारों में भयमुक्त जीवन जीने का अधिकार, बाधाओं के बिना शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार, शोषण मुक्त होकर काम करने का अधिकार और गरिमापूर्ण तरीके से वृद्धावस्था गुजारने का अधिकार शामिल है। उन्होंने कहाकि भारत ने विश्व को यह याद दिलाया हैकि मानवाधिकारों को विकास से अलग नहीं किया जा सकता, साथही भारत ने हमेशा इस चिरस्थायी सत्य का पालन किया है 'न्याय के बिना शांति नहीं और शांति के बिना न्याय नहीं।' राष्ट्रपति ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त कीकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग, न्यायपालिका और नागरिक समाज, सभी ने मिलकर हमारे संवैधानिक विवेक के सतर्क प्रहरी के रूपमें कार्य किया है। उन्होंने कहाकि पिछले कुछ वर्ष में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोगों केसाथ-साथ महिलाओं और बच्चों से संबंधित कई मुद्दों का स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने कहाकि मानवाधिकार आयोग ने इसवर्ष अपने स्थापना दिवस समारोह के दौरान कैदियों के मानवाधिकारों के विषय पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि इन चर्चाओं से उपयोगी परिणाम प्राप्त होंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि महिलाओं का सशक्तिकरण और उनका कल्याण मानवाधिकारों के प्रमुख स्तंभ हैं। उन्होंने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों में महिलाओं की सुरक्षा पर एक सम्मेलन का आयोजन किया है। उन्होंने कहाकि ऐसे सम्मेलनों से प्राप्त निष्कर्ष महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राज्य और समाज के कुछ आदर्शों को साकार रूप देता है, भारत सरकार इन आदर्शों को अभूतपूर्व पैमाने पर क्रियांवित कर रही है। उन्होंने कहाकि इस एक दशक में हमने अपने राष्ट्र को एक अलग दृष्टिकोण अपनाते हुए देखा है-विशेषाधिकार से सशक्तिकरण की ओर और दान से अधिकारों की ओर। राष्ट्रपति ने कहाकि सरकार यह सुनिश्चित करने केलिए काम कर रही हैकि स्वच्छ जल, बिजली, खाना पकाने की गैस, स्वास्थ्य सेवा, बैंकिंग सेवाएं, शिक्षा और स्वच्छता जैसी दैनिक आवश्यक सेवाएं सभी को उपलब्ध हों, इससे प्रत्येक परिवार का उत्थान होता है और उनकी गरिमा सुनिश्चित होती है।
राष्ट्रपति ने कहाकि हालही में सरकार ने वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा एवं व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों से संबंधित चार श्रम संहिताओं के माध्यम से एक महत्वपूर्ण सुधार को लागू करने की अधिसूचना जारी की है। उन्होंने कहाकि यह क्रांतिकारी बदलाव भविष्य केलिए तैयार कार्यबल और अधिक सुदृढ़ उद्योगों की नींव रखता है। राष्ट्रपति ने कहाकि मानवाधिकारों के वैश्विक ढांचे को आकार देने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने मानवीय गरिमा, समानता और न्याय पर आधारित विश्व की कल्पना की थी। राष्ट्रपति ने अंत्योदय दर्शन के अनुरूप वंचित लोगों सहित सभी के मानवाधिकारों की गारंटी पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण की दिशामें राष्ट्र के विकास पथ में प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए, तभी विकास को सही मायने में समावेशी कहा जा सकता है।

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