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ग्राम विरासतों के डिजिटल दस्तावेजीकरण पर जोर

शहरीकरण में गांवों के मूल स्वरूप और आत्मा को संरक्षित करना जरूरी

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 20 December 2025 03:55:20 PM

ignc for the arts' national cultural mapping mission

नई दिल्ली। भारत की समृद्ध ग्रामीण सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कार्यांवित राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन ने आईजीएनसीए दिल्ली में एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम (स्तर-I) आयोजित किया। यह 26 जनवरी 2026 को होने वाली अखिल भारतीय ग्राम सभाओं की राष्ट्रव्यापी श्रृंखला के अंतर्गत हुआ। इसका उद्देश्य एनएमसीएम की प्रमुख योजना ‘मेरा गांव मेरी धरोहर’ केतहत भारत की मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के व्यवस्थित दस्तावेजीकरण को और मजबूत करना है, साथही विरासत आधारित सहभागिता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के नए अवसर सृजित करने हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल और पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजेश कुमार सिंह और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कार्यक्रम को संबोधित किया।
विवेक अग्रवाल ने इस कार्यक्रम को भारत के गांवों केलिए एक सशक्त डिजिटल उपस्थिति सुनिश्चित करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने एमजीएमडी पोर्टल को समृद्ध बनाने केलिए पांच सूत्री रूपरेखा प्रस्तुत की, जिसमें पोर्टल की व्यापक समझ विकसित करना, इसकी श्रेणियों और सीमाओं का आकलन करना, योगदान करें# के माध्यम से सुधारात्मक उपाय अपनाना, सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन विधियों का उपयोग करके डेटा एकत्र करना और अंततः पोर्टल को समृद्ध बनाना शामिल था। राजेश कुमार सिंह ने सांस्कृतिक मानचित्रण में पंचायती राज संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और उनके व्यापक जमीनी अनुभव और पहुंच के बारेमें बताया। उन्होंने व्यापक कवरेज और प्रभावी परिणामों को सुनिश्चित करने केलिए समयबद्ध कार्यांवयन, निरंतर निगरानी और लगातार जमीनी मार्गदर्शन के महत्व पर बल दिया।
डॉ सच्चिदानंद जोशी ने तेजीसे शहरीकरण हो रही दुनिया में गांवों के मूल स्वरूप और आत्मा को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उन्होंने एमजीएमडी पोर्टल पर मूर्त और अमूर्त विरासत दोनों के दस्तावेजीकरण के महत्व पर बल दिया और कहाकि 2035 तक भारतीय समाज को उपनिवेशवाद से मुक्त करने का लक्ष्य गांवों की पहचान और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित करके ही प्राप्त किया जा सकता है। कार्यक्रम में पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज और अतिरिक्त सचिव सुशील कुमार लोहानी भी उपस्थित थे। विवेक भारद्वाज ने अपने बचपन के ग्रामीण जीवन की यादें साझा करते हुए समय केसाथ धीरे-धीरे विलुप्त हो रही अमूर्त सांस्कृतिक परंपराओं की ओर ध्यान दिलाया। उनके विचारों ने प्रशिक्षकों को नए सिरे से प्रतिबद्धता और समर्पण केसाथ प्रलेखन प्रक्रिया को बढ़ावा देने की प्रेरणा दी।

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