रईस अहमद 'लाली'
अभी पिछले दिनों भाजपा के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी की वेबसाइट लांच हुई है, काफी धूम-धड़ाके के साथ। देश-दुनिया में, अलग-अलग माध्यमों से इसका जबरदस्त प्रचार भी किया जा रहा है। आडवाणी को शहरी मतदाताओं और युवाओं में लोकप्रिय बनाने के लिए। उनके ही अंदाज में। उनके ही माध्यम से। और खासकर, यह सारी कवायद इस आम चुनाव को लेकर चलाई जा रही है, ताकि जनता के दरबार में आडवाणी की लौहपुरुष जैसी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज कराई जा सके। रथयात्राओं के महारथी आडवाणी भी पूरे जोशोखरोस से अपने इस अभियान में जुटे हुए हैं। इंटरनेट पर लोगों से चैटिंग कर रहे हैं। अपनी बातें, अपनी सोच उन तक पहुंचा रहे हैं। यानी पूरी तरह हाईटेक चुनावी तैयारी। नेताजी हाईटेक हो गए हैं। लेकिन इस मुहिम में आडवाणी अकेले नहीं हैं। उनकी तरह कई और भी नेता हैं, जो इंटरनेट के माध्यम से अपनी राजनैतिक नैया पार लगाने की कसरत में उलझे हैं।
पहले बात भाजपा की ही। यहां आडवाणी ने अपनी वेबसाइट क्या लांच की, पार्टी के कई नेता उनके पीछे-पीछे इस कतार में खड़े हो गए। शहनवाज हुसैन, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, अनंत कुमार आदि। मुरली मनोहर जोशी की वेबसाइट तो पिछले दिनों ही लांच हुई है। इसमें इस कद्दावर नेता के राजनैतिक जीवन के हर आयाम को समेटा गया है। भविष्य की योजनाओं और राजनीति में उनके विजन को विस्तार से बताया गया है। कुछ इसी तरह पार्टी के अल्पसंख्यक चेहरे शहनवाज हुसैन भी अपनी वेबसाइट लाने को पूरी तरह तैयार हैं।
हर नेता अपनी वेबसाइट को दूसरे से बेहतर बनाने का भरपूर प्रयास कर रहा है। इसके लिए आईटी पेशेवरों की टीम को काम पर लगाया गया है। वे नेताओं की छवि को बेहतर से बेहतर तरीके से लोगों के बीच रखने के नुस्खे तलाश रहे हैं। इसमें उनके भाषणों का संकलन, महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके विचार, विभिन्न यादगार अवसरों के उनके फोटोग्राफ्स समेत उनके विस्तृत ब्योरे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस मकसद से कि वेब पाठक उनके व्यक्तित्व के सभी पहलुओं से परिचित हो सकें। उनके कद्रदान बन सकें, और चुनावों में उनके और उनकी पार्टी के पक्ष में अपना मतदान करें।
वैसे वेबसाइट के माध्यम से अपनी छवि चमकाने का राजनेताओं का शगल कोई नई बात नहीं है। पहले भी ऐसे प्रयास होते रहे हैं। विजय कुमार मल्होत्रा ने भी अपनी असली छवि लोगों तक पेश करने के लिए वेबसाइट का सहारा लिया। योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे कृष्णचंद पंत भी वेबसाइट के माध्यम से अब तक की अपनी उपलब्धियों और अपनी योजनाओं की मुनादी करते दिखे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुजरात की कमान संभाल रहे नरेंद्र मोदी भी अपनी-अपनी वेबसाइट शुरू कर चुके हैं। इन वेबसाइटों के माध्यम से वे लोगों को अपने कुशल नेतृत्व में प्रदेश के चहुंमुखी विकास की कहानी बता रहे हैं, खूब बढ़ा-घटाकर। अब क्या बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है और क्या घटाकर दिखाया जा रहा है, आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। भाजपा में हाईटेक नेताओं की फेहरिस्त में इतने ही नाम नहीं हैं।
कई और नेता हैं, जिन्हें हाईटेक युग में इंटरनेट की ताकत का अंदाजा हो चुका है। ऐसे ही एक भाजपाई हैं किरिट सोमैया। अर्थशास्त्री। पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट सोमैया पीएचडी होल्डर भी हैं। वह महज एक राजनेता नहीं हैं, बल्कि लीडर हैं। दूरदर्शी हैं। मुंबई की आवाज़। ऐसा उनकी वेबसाइट में बताया गया है। भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किरिट सोमैया महाराष्ट्र में पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों में भी शामिल रहे हैं। खुद को आम आदमी का साथी बताने वाले किरिट यह दावा वेबसाइट पर कर रहे हैं। महाराष्ट्र के एक और भाजपाई नेता, गोपीनाथ मुंडे भी बदलते दौर में टेक्नोलॉजी का सहारा लेते दिखते हैं। वैसे इनके साले स्वर्गीय प्रमोद महाजन को भाजपा में हाईटेक नेता की संज्ञा दी जाती थी। 'इंडिया शाइनिंग' और 'फीलगुड' जैसी योजनाएं उन्हीं के दिमाग की उपज थीं, जिसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई थी। खैर, ये तो रहे भाजपाई। अब बात अन्य दलों की।
कांग्रेस में अपनी खुद की वेबसाइट रखने वाले नेताओं की तो कमी ही नहीं है। पार्टी के युवराज राहुल गांधी ने भले ही लोगों तक पहुंचने के लिए अपनी वेबसाइट नहीं बनवाई है, लेकिन पार्टी की आधिकारिक साइट का सहारा लेकर वह भी उस वर्ग को साध रहे हैं, जो कंप्यूटर शिक्षित है। कांग्रेस में युवा लीडरों की खेप में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी वेबसाइट के सहारे मतदाताओं को लुभाते नजर आते हैं। उनकी साइट में उनके, उनके परिवार वालों के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही उसमें खबरें भी होती हैं। वैसी खबरें जिससे ज्योतिरादित्य की छवि कहीं न कहीं चमकती हो। नवीन जिंदल जैसे युवा कांग्रेसी भी टेक्नोलॉजी से खासे प्रभावित नजर आते हैं।
अक्सर विवादों में रहे जगदीश टाइटलर की भी अपनी वेबसाइट है। कई बार केंद्र में मंत्री रहे टाइटलर ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि कैसे मुश्किलों के दौर का उन्होंने मजबूती के साथ वक्त का सामना किया है। पाकिस्तान के कपूर परिवार में जन्मे टाइटलर की परवरिश करने वाले शिक्षाविद् जेम्स डगलस टाइटलर भी साइट पर पूरा जिक्र किया गया है। बताया गया हैकि उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल समेत कई पब्लिक स्कूलों की स्थापना की है। जहां तक खुद का सवाल है, तो टाइटलर ने राष्ट्रीय एकता में विश्वास करने वाले नेता के तौर पर अपनी पहचान बताई है। उनकी साइट पर कहा गया है कि वह सीधे-सरल व्यक्त्वि के मालिक हैं। उनके पास भरपूर ऊर्जा है। उनके पास जो भी हताश-निराश व्यक्ति आता है, वह तरोताजा और उत्साह से परिपूर्ण होकर जाता है। क्षेत्र और जनता के लिए किए गए कामों का भी विस्तारपूर्वक जिक्र किया गया है उनकी वेबसाइट में।
कांग्रेस में और भी नेता हैं, जो टेक्नोलॉजी के जमाने में इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी अपनी राजनैतिक पारी को सुलभ बनाए रखने के लिए वेबसाइट का सहारा लिया। उनकी साइट पर उनके और उनकी सरकार की उपलब्धियों का विस्तारपूर्वक ब्योरा दिया गया है। यह साबित करने की कोशिश की गई है कि कैसे वाईएसआर ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी जनता का दर्द दूर करने का अपना प्रयास जारी रखा। ऐसा प्रयास करने और इसका दावा करने वालों की कांग्रेस में कमी नहीं। कई नेता वेबसाइट के माध्यम से अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की पहल करते दिखते हैं। बताया जाता है कि इस वक्त वेबसाइट बनाने वाली एक खास कंपनी को कई नेताओं की तरफ से उनकी वेबसाइट बनाने का ठेका मिला हुआ है। इस पर दिन-रात काम हो रहे हैं ताकि जल्द से जल्द उसे लांच किया जा सके। हर कोई चुनाव से पहले अपने नाम की वेबसाइट देखना चाहता है।
पता चला है कि कुछ वामपंथी नेता भी अपने नाम वाली वेबसाइट बनाने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि अपनी पार्टी की वेबसाइट से ऐसे नेता पहले भी अपनी नीतियां, विचारधारा आदि से लोगों को परिचित कराने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन अब अपनी व्यक्तिगत छवि की चिंता सभी को सताने लगी है। लिहाजा अपनी-अपनी वेबसाइटों के जरिए वे इस पर रंग रोगन चढ़ाने की पहल करते पाए जा रहे हैं। केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन उन कॉमरेडों में शामिल हैं, जो हमेशा खुद को जमीन से जुड़ा नेता बताते रहे हैं। लेकिन इस लो प्रोफाइल कॉमरेड को भी आज के जमाने में टेक्नोलॉजी का सहारा लेना पड़ रहा है। अपना राजनैतिक दायरा बढ़ाने के लिए।
उनके बारे में विस्तृत ब्योरे वाली वेबसाइट केरलसीएम के नाम से है, लेकिन उस पर अच्युतानंदन के बारे में ही ज्यादा बखान है। मसलन वह साफ-सुथरी छवि के नेता हैं, समझौतावादी नहीं हैं, समस्या के हल के प्रति निष्ठा से लगे रहने वाले और आम आदमी के सपने को हकीकत के धरातल पर उतारने वाले नेता हैं। बहुत डिग्रियां नहीं हैं। लिहाजा 7वीं तक पढ़ पाने की मजबूरी को भी उन्होंने अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश की है। यह बताते हुए कि आर्थिक परेशानियों से जूझने के कारण, जीवन के संघर्ष में उन्हें ज्यादा पढ़ने का मौका नहीं मिल पाया। ज्योति बसु भी इससे पहले अपनी शख्सियत और उपलब्धियों से लोगों को अच्छी तरह से रूबरू कराने की खातिर वेबसाइट का सहारा ले चुके हैं। इसमें कहा गया कि वह इस वक्त दुनिया के सबसे वयोवृद्ध कॉमरेड हैं।
वेबसाइट के जरिए अपने मतदाताओं के संपर्क में बने रहने का शिगुफा इससे पहले दक्षिण के भी कई राजनेता आजमा चुके हैं। इस मकसद से कि जनता की स्मृतियों से उनकी शख्सियत न बिसर जाए। लेकिन, ऐसे प्रयास बहुत हद तक असफल ही साबित हुए हैं। इंटरनेट के जरिए राजनीति की जमीन को कायम रखने और उसका दायरा बढ़ाने की पहल मतदाताओं को कभी रास नहीं आई। आम जनता अभी भी ऐसे हथकंडों को नेताओं की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की सस्ती पहल मानती है। इसका बहुत फायदा शायद ही किसी को मिलता दिखता हो। अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बहुतों को तो इन राजनेताओं की वेबसाइटों की जानकारी ही नहीं है। कुछ शहरी मतदाताओं और युवाओं के सहारे ही आम जनता का खैरख्वाह साबित करने की नेताओं की कोशिश पर सवाल भी उठते रहे हैं। ऐसे में नेताओं की वेबसाइट शुरू करने की मुहिम की सफलता को लेकर आशंकाएं स्वाभाविक हैं।
जहां तक इन वेबसाइटों से फायदे की बात है, तो फिलहाल इससे आईटी कंपनियों की ही चांदी कटती दिख रही है। आईटी पेशेवर वेबसाइट बनाने के एवज में लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। बाकायदा चुनावी बेला में इस काम के लिए उन्होंने एक पूरी टीम बनाई हुई है। उसे निर्देश दिया गया है कि जल्द से जल्द काम पूरा किया जाए। नेताओं की तरु से भी काम जल्दी पूरा करने का दबाव पड़ रहा है। बताया जाता है कि इन दिनों वेबसाइट बनाने वाली कंपनियों ने अपनी मार्केटिंग के लिए अनुभवी लोगों को साथ जोड़ा है, ताकि कमाई की इस घड़ी का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाया जा सके।कहने का तात्पर्य कि इंटरनेट के महत्व को हर कोई भुना रहा है। अपने-अपने तरीके से। देखना है कि ज्यादा फायदा किसके हाथ लगता है।