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नई दिल्ली। भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रमुख बैंकों-केनरा बैंक और ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स तथा एचएसबीसी (एशिया पैसेफिक) होल्डिंग्स लिमिटेड के बीच साझेदार-केनरा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का कहना है कि वह अपने शेयरधारकों के ग्राहकों के बीच वित्तीय अनुशासन और रिटायरमेंट प्लांनिंग का विकास करने के लिए खासतौर से फोकस करेगी। केनरा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस के संयुक्त उपक्रम साझेदार एचएसबीसी के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि भारत में 58 प्रतिशत लोगो ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि रिटायरमेंट के बाद उनकी आय क्या होगी। सर्वेक्षण के प्रमुख नतीजों के आधार पर केनरा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस अपने शेयर धारकों के ग्राहकों को फाइनेंशियल प्लानिंग खासकर लाइफ इंश्योरंस के जरिए रिटायरमेंट प्लानिंग की शिक्षा देगी।
सर्वेक्षण 'दि फयूचर ऑफ रिटायरमेंट-इट्स टाइम टू प्रीपेयर' से कराया गया जिसके निष्कर्षो के मुताबिक, 'सर्वेक्षण में भाग लेने वाले भारतीयों में 42 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने रिटायरमेंट के लिहाज से अच्छी तरह तैयार महसूस कर रहे हैं। यह सर्वेक्षण 15 देशों में हुआ और इस लिहाज से भारत सबसे ऊपर रहा। हालांकि भारत में 58 प्रतिशत लोगों को नहीं पता है कि रिटायरमेंट के बाद उनकी आय कैसी होगी। रिटायरमेंट के बाद की स्थितियों के लिए तैयार नहीं होने के कारणों में एक अल्प अवधि में दीर्घ अवधि के खर्चों के संबंध में समझदारी की कमी। भारत में सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 59 प्रतिशत लोग अल्प अवधि के अपने फाइनेंस को अच्छी तरह समझते हैं और 50 प्रतिशत दीर्घ अवधि के अपने फाइनेंस को लेकर आत्मविश्वास में हैं।'
केनरा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरपाल कार्लकट के मुताबिक, 'भारत में दूसरे देशों के मुकाबले बचत का अनुपात ज्यादा है। हालांकि सर्वेक्षण से पता चलता है कि बचत के उद्देश्य ज्यादा संकीर्ण हैं और ये बच्चों के लिए बचत की दिशा में है। कुल बचत का 35 प्रतिशत इस दिशा में है जबकि रिटायरमेंट के लिए बचत का हिस्सा सिर्फ 12 प्रतिशत है।' सर्वेक्षण के मुताबिक, रिटायरमेंट के लिए बचत नहीं करने के पीछे यह तथ्य भी हो सकता है भारत में औसत आयु सिर्फ 26 वर्ष है। दरअसल इससे भारत लाभ की स्थिति में पहुंच जाता है। सन् 2050 में भारत में आश्रित व्यस्कों की संख्या पहली बार आश्रित बच्चों की संख्या के बराबर हो जाएगी। यह स्थिति परिपक्व अर्थव्यवस्था वाले देशों और वाकई उभरती अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत में काफी देर से आ रही है और इस तरह भारत को तैयारी के लिए ज्यादा समय मिल गया है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि यह वही है जिसे अक्सर डेमोग्राफिक डिविडेंड (जनसांख्यिकीय लाभांश) कहा जाता है।
कार्लकट ने आगे कहा, 'आज हमारे यहां युवाओं की आबादी ज्यादा है इसलिए हम लोग एक अनुकूल स्थिति में हैं। इससे हमें यह मौका मिलता है कि हम अपनी मौजूदा युवा आबादी को शिक्षित करें और उनके रिटायरमेंट के लिए वित्तीय योजना के जरिए तैयार करें और इसके साथ जीवन बीमा उत्पाद भी हों जो खासतौर से ऐसे हों कि आय में कमी के अंतर को पाटने में सहायता करें।' इस समय औपचारिक पेंशन की व्यवस्था देश के नौकरीपेशा कर्मचारियों में सिर्फ 13 प्रतिशत को कवर करती है और इस तरह कुल करीब 28 करोड़ 40 लाख लोग ऐसे हैं जो पेंशन कवरेज में नहीं आते हैं। ओईसीडी के निजी पेंशंस आडटलुक 2008 के मुताबिक भारत में पेंशन फंड ऐसेट बहुत छोटा है और यह भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का सिर्फ 5 प्रतिशत है।
सर्वेक्षण से आर्थिक मंदी के प्रभाव पर भी रोशनी पड़ती है। पिछले 18 महीनों के दौरान आर्थिक मंदी का लोगों की आर्थिक स्थिति और दीर्घ अवधि के निवेश के प्रति उनकी सोच पर अच्छा-खासा प्रभाव पड़ा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भारत के जीडीपी विकास के लिए आशावादी भविष्यवाणी करता है। वर्ष 2009 में यह 5.1 प्रतिशत और 2010 में 6.5 प्रतिशत रहेगा। सर्वेक्षण से आर्थिक सुधार के प्रति भारतीयों के आशावादी रुख का पता चलता है। कम से कम 59 प्रतिशत भारतीय मानते हैं कि मंदी का असर 12 महीने से कम रहेगा जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर यह आशावाद 29 प्रतिशत लोगों में ही है।
इसके बावजूद सर्वेक्षण स्पष्ट रूप से संकट के समय भारतीय की बदलती प्राथमिकताओं को सामने लाता है और रिटायरमेंट के प्रति यह ऐसा ही है। नतीजों से पता चला कि भारत में 8 में से 1 व्यक्ति ने या तो पेंशन के लिए बचत करना कम कर दिया है या रोक दिया है। अन्य 18 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे आर्थिक सलाह लेंगे ताकि उनके समक्ष जो विकल्प हैं उसमें से उपयुक्त का चुनाव कर सकें। अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में लोग अपने बैंकों पर भरोस करते हैं और यह सलाह देने का लोकप्रिय प्राथमिक स्रोत है। भारत में कम से कम 31 प्रतिशत लोगों ने वित्तीय संस्थाओं से संपर्क करने या सलाह लेने के संबंध में खुलेपन का प्रदर्शन किया। उपरोक्त नतीजों से बेहतर कल के लिए रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय योजना बनाने की प्रासंगिकता का प्रसार करने के लिए सरकार और वित्तीय संस्थाओं द्वारा निश्चित उपाय किए जाने की आवश्यकता का पता चलता है। इसके अलावा, खतरा यह हो सकता है कि उपयुक्त समझ के बगैर भारत में लोग निश्चिंत हो जाएंगे और रिटायरमेंट के लिए अपेक्षाकृत रूप से बेहतर तैयार महसूस करेंगे। इसलिए, पर्सनल फाइनेंस शिक्षा कार्यक्रम का विकास करने की आवश्यकता सर्वोपरि है।
केनरा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरेंस में ऐसे कदम उठाए गए हैं जिससे ग्राहक को जीवन बीमा के जरिए अनुशासित बचत की आवश्यकता बताई जा सके खासकर रिटायरमेंट के बाद के लिए। संयुक्त परिवार के लगातार टूटते जाने, ज्यादा समय तक जीवित रहने और बढ़ते चिकित्सा खर्च के मद्देनजर ग्राहकों को आर्थिक आज़ादी की उभरती आवश्यकता के बारे में बताया जाता है। सच तो यह है कि परिचालन के पहले वर्ष में केनरा एचएसबीसी ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स लाइफ इंश्योरंस ने देश भर में करीब 200 आयोजनों के जरिए सफलतापूर्वक 5,000 से ज्यादा लोगों को वित्तीय शिक्षा दी है।
कंपनी ने नवंबर 2008 में एक यूएल पेंशन योजना शुरू की थी। इसे इस ढंग से बनाया गया था कि यह ग्राहकों को अधिकतम लाभ मुहैया कराए। शुद्ध रूप से पेंशन और लाइफ कवर के साथ पेंशन के रूप में उपलब्ध यह प्लान सिंगल और नियमित प्रीमियम भुगतान के विकल्प की पेशकश करता है। चुनने के लिए 5 फंड हैं और इनमें वेस्टिंग उम्र को आगे लाने या देर करने का लचीलापन है। जब किसी ग्राहक की उम्र बढ़ती है और वह वेस्टिंग आयु की ओर बढ़ता है तो परिपक्वता स्विच का विकल्प उसकी सहायता करता है और वह निवेश का प्रबंध कर सकता है और चरणों में अपने निवेश को इक्विटी से लिक्विड फंड में अपने आप बदलना शुरू कर सकता है। इस समय पेंशन कंपनी के दूसरे सबसे ज्यादा बिकने वाले उत्पादों में है।
केनरा बैंक की स्थापना सन् 1906 में हुई थी और जमाराशि व कर्ज समेत कुल कारोबार के लिहाज से आज यह भारत में सबसे बड़े राष्ट्रीयकृत बैंकों में से एक है। इकतीस मार्च 2009 की स्थितियों के अनुसार परिसंपत्तियों के इसके आकार का मूल्य करीब 2 लाख करोड़ रूपए और दुनिया भर का इसके कारोबार का मूल्य 3.25 लाख करोड़ रुपए है। बैंक के स्वामित्व का 73.17 प्रतिशत भारत सरकार के पास है। बैंक को इसकी मजबूत बुनियाद तथा अच्छी कारोबारी नीतियों के लिए जाना जाता है तथा इसे स्थापना के बाद से हर साल लाभ दर्ज करने की विशिष्टता हासिल है। देश भर में इस बैंक का 2734 शाखाओं का नेटवर्क है और इसके करीब 44,090 कर्मचारी, करीब साढ़े तीन करोड़ ग्राहक हैं। इसकी क्रेडिट रेटिंग बीबीपीआई और एएए/सटेबल है जो क्रम से स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और क्रिसिल (क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड) के हैं। बैंक के आज ई एनैबल्ड डिलीवरी चैनल हैं, इनमें 2019 एटीएम, 2065 एनीव्हेयर बैंकिंग शाखाएं और 1359 शाखाएं हैं जो इंटरनेट और मोबाइल सुविधाओं से युक्त हैं।
एचएसबीसी समूह की मूल कंपनी एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी का मुख्यालय लंदन में है। यूरोप, एशिया पैसेफिक क्षेत्र, अमेरिका, मध्य पूर्व और अफ्रीका के 86 देशों और क्षेत्रों में अपने करीब 9500 कार्यालयों के जरिए यह समूह दुनिया भर में इकतीस दिसंबर 2008 की स्थिति के अनुसार इसकी परिसंपत्तियां 527 अरब अमेरिकी डॉलर की थी, एचएसबीसी दुनिया के सबसे बड़े बैंकिंग और वित्तीय सेवा संगठनों में से एक माना जाता है। ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स का करोबारी मेल 31 मार्च 2009 की स्थिति के अनुसार 1.67 करोड़ कारोबार था। इसकी 1401 शाखाएं, 845 एटीएम और 14600 कर्मचारी हैं। इसके 1 करोड़ 20 लाख से ज्यादा ग्राहक हैं। ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स का 51.1 प्रतिशत स्वामित्व भारत सरकार के पास है। इसे क्रिसिल से एफएएए की क्रेडिट रेटिंग हासिल है।
एचएसबीसी फ्यूचर ऑफ रिटायरमेंट रिपोर्ट 5 के नतीजे 30 से 70 साल के 15,000 लोगों के जवाब पर आधारित हैं। ये जवाब 15 देशों - ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, हांग कांग, भारत, जापान, मैक्सिको, सउदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, इंग्लैंड और अमेरिका के लोगों के हैं। ये वे लोग हैं जो शहरी क्षेत्रों में रहते हैं, ज्यादा शिक्षित होने की संभावना है और जिनकी इंटरनेट तक अच्छी पहुंच है। ये लोग आमतौर पर सेवा आधारित अर्थव्यवस्था से ज्यादा वाकिफ रहते हैं और औद्योगीकृत विश्व में अपने साथियों की सोच और व्यवहार के प्रति ज्यादा तेजी से अभिमुख होते हैं। इसमें रिटायरमेंट प्लानिंग के प्रति व्यवहार की शैली शामिल है।