
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उच्च शिक्षा की आवश्यकता तथा छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की संख्या को बढ़ाने पर जोर दिया है। वे इलाहाबाद में मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान इलाहाबाद के 9वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने हाल ही में प्रकाशित...

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज नई दिल्ली में 12वीं पंचवर्षीय योजना के मसौदे पर विचार के लिए बुलाई गई राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की 57वीं बैठक को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि तीव्र, अधिक समावेशी और सतत् वृद्धि संबंधी योजना के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बैठक में जो मसौदा रखा गया है, वह देश के सामने...

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की जनता के नाम संदेश में कहा है कि दिल्ली में पिछले रविवार को सामूहिक बलात्कार की जो क्रूर आपराधिक घटना हुई, उस पर उसका आक्रोश स्वाभाविक और उचित है। इस संकटपूर्ण घड़ी में हम सब मिलकर उसके और उसके प्रियजनों के लिए प्रार्थना करें। उन्होंने कहा कि तीन बेटियों का पिता होने के नाते मैं भी...

लेजिस्लेटिव काउंसिल (उत्तर प्रदेश विधान मंडल) की स्थापना 8 जनवरी, 1887 को हुई थी तथा इसकी प्रथम बैठक थार्नहिल मेमोरियल हॉल, इलाहाबाद में हुई थी। लेजिस्लेटिव काउंसिल के गणमान्य सदस्यों में पं मोतीलाल नेहरू, महामना मदनमोहन मालवीय, गणेश शंकर विद्यार्थी, सैय्यद अहमद, पं गोविंद बल्लभ पंत तथा सीवाई चिंतामणि प्रमुख रहे थे। उत्तर...

जब तक मनुष्य अपनी देह के पोषण हेतु ठोस द्रव और गैस आहार तक सीमित रहेगा, उसकी समझ भौतिक जगत की ही सीमाओं तक सीमित रहेगी। ब्रह्मांड के अनबूझे रहस्यों के ज्ञान प्राप्ति की योग्यता प्राप्ति हेतु मनुष्य को प्रकाश जैसे उच्चकोटि के वैकल्पिक ऊर्जा भंडार से अपने मस्तिष्क का पोषण करना सीखना होगा।...

पाकिस्तान भारत के लिए ऐसा घाव है जो न भरता है, न सूखता है, बल्कि जब भी उसके भरने और सूखने की थोड़ी उम्मीद जगती है, वह कोई ऐसा घातक प्रहार कर जाता है कि वह पुनः रिसने लगता है। इतिहास को हम न पलट सकते हैं, न इसे झुंठला सकते हैं। हां, अगर दूरदर्शिता हो तो इतिहास की गलतियों से सबक लेकर ऐसे कदम जरुर उठाए जा सकते हैं।...

वैसे तो अंग्रेजों और दूसरे विदेशी आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान का जैसे हो सका शोषण किया, परंतु अंग्रेजों ने यहां बहुत अच्छे काम भी किए थे, जिनमें एक सराय एक्ट भी बनाया था। समाचार आया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने चुपके से सराय एक्ट को भी दफना दिया है और किसी को इसकी कानोकान ख़बर भी न लगी। ना जाने कैसे इस...

प्रधानमंत्री ने 2 जी मामले में भी कहा था कि वे उसके सामने गवाही देने को तैयार हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कांग्रेस एवं सरकार ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया। इस समय भी जब प्रधानमंत्री कैग और विपक्ष दोनों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं तो इसका अर्थ राजनीतिक टकराव को कम करने की मानसिकता नहीं है।इसमें प्रधानमंत्री का यह...

जगसीर सिंह ने सर्वप्रथम 2006 में बैंगलोर में आयोजित 8वीं पैरा राष्ट्रीय सीनियर एथलेटिक्स स्पर्धा में हिस्सा लेते हुए लांग जंप, हाई जंप और ट्रिपल जंप के अलावा 400 मीटर दौड़ में भी स्वर्ण पदक जीते। इस शानदार आगाज़ के बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक सफलताओं के नए मुकाम तय किए। पैरा एशियन गेम्स की ट्रिपल जंप स्पर्धा...

भारतीय राजनीति की यह बहुत बड़ी त्रासदी है कि मुसलमानों से जुड़ीं हुईं घटनाओं के बारे में ज्यादातर प्रमुख राजनीतिक पार्टियां स्पष्ट रुख अपनाने से कतरातीं हैं, भले उनका विरोध मुसलमानों का बड़ा वर्ग भी करता है, मगर राज ठाकरे को समर्थन देने वालों में आज वे भी शामिल हैं, जो कभी उनके आम राजनीतिक व्यवहार से सहमत नहीं थे। आजाद मैदान...

सांप्रदायिकता चाहे कैसी भी हो वह अंततः राष्ट्रविरोधी ही होती है। वह एक धर्म के अनुयायियों को दूसरे धर्म के अनुयायियों के विरुद्ध खड़ा करने और राष्ट्र की एकता की जड़ों को खोदने का काम करती है। धार्मिक कट्टरवाद पर अधारित हिंसा को बढ़ाने के लिए सांप्रदायिक सोच ही जिम्मेदार है। भारतीय समाज और राजनीति में सांप्रदायिकता की...

महाराष्ट्र की मराठा और कांग्रेस राजनीति पर अपना वर्चस्व रखने वाले विलासराव दगादोजी राव देशमुख ने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में बड़े झंडे गाड़े तो गंभीर विवादों का भी सामना किया, लेकिन कांग्रेस कभी भी इस राजनेता की अहमीयत को अनदेखा करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। बाभलगांव से नई दिल्ली तक के सफर में देशमुख ने एक राजनेता...

असम के मूल नागरिकों को बंगलादेश के हिंदुओं की तरह से ही दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का षड्यंत्र आकार ले चुका है। अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर करने की राष्ट्रवादी मांग को सांप्रदायिक कर देने की कुत्सित राजनीति आज भी चरम पर है। असम और दिल्ली में बैठे धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदारो संभल जाओ, स्थिति की गंभीरता...

तुलसीदास ने गाया था “बरसहिं जलद भूमि नियराए।” अब सब कुछ रूखा-सूखा है। दूर-दूर तक न महुआ, न हहराते देशी आम के वन और न गदराई जामुन के पेड़। यूकेलिप्टस तने खड़े हैं। जमीन का सारा पानी पी गए, अघाये भी तो नहीं। वैज्ञानिक बताते हैं कि सबसे ज्यादा वे ही पानी पीते हैं। हमारे बचपन में सारे गांव जंगल के भीतर थे। हरेक घर के सामने पीछे नीम,...

प्रणब दा 1986-87 के जैल सिंह की तरह या 1999 के डॉ केआर नारायणन की तरह की भूमिका से बचेंगे, किंतु वे एकदम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की तरह शतप्रतिशत मुहर की भूमिका निभाएंगे, ऐसा नहीं मानना चाहिए। डॉ शंकर दयाल शर्मा के बाद प्रणब के रुप में पहली बार शीर्ष राजनीति की मुख्यधारा का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति बना है। प्रणब ने 1989 से आरंभ गठबंधन...