
फिल्मों की सफलता के लिए न सिर्फ ख्वाजा की दरगाह पर, बल्कि किसी अन्य मजहब के धर्म स्थल पर भी, इस तरह मन्नतें नहीं मागनी चाहिएं, क्योंकि किसी भी धर्म में नाजायज करार दिए गए कार्यों के लिए इस तरह की इजाजत नहीं है। देश के प्रमुख उलेमाओं, दारूलउफ्ता और मुफ्तियों को इस मसले पर शरीअत के मुताबिक खुलकर अपनी राय का इजहार करना चाहिए,...

बराक ओबामा ने न जाने कितनी बार कहा है कि भारत जैसे उभरते हुए देश को अलग रखकर आप किसी वैश्विक समस्या का समाधान नहीं कर सकते। बड़ी विडंबना है कि यही बात हमारे यहां कही जाए तो वह दबाव नहीं और अमेरिका का राष्ट्रपति कहे तो दबाव हो गया! पर इसे ओबामा का दबाव मानने या सरकार को गलत कदम उठाने के लिए मजबूर करने वाला प्रयास नहीं कह सकते।...

उच्चतम न्यायालय का राष्ट्र भाषा हिंदी में कार्य करना अपने आप में गौरव और हिंदी को प्रोत्साहन का विषय है। राजभाषा पर संसदीय समिति ने 28 नवंबर 1958 को संस्तुति की थी कि उच्चतम न्यायालय में कार्यवाहियों की भाषा हिंदी होनी चाहिए। इस संस्तुति को पर्याप्त समय व्यतीत हो गया है, किंतु इस दिशा में आगे कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।...

कुम्हारी कला से जुड़े लोगों का जीवन झोपड़ियों और भट्टी के पास ही गुजरता है। कई-कई दिन मिट्टी में काम करते हुए बीत जाते हैं। दूर से मिट्टी खोदकर लाना और उपयुक्त मिट्टी तलाश करना बेहद कठिन काम है। सरकार ने इस कला में लगे लोगों के पुनर्वास और उनकी मेहनत के वाजिब हक पर भी कभी ध्यान नहीं दिया है, यही कारण है कि मिट्टी के बर्तनों...

विफल और अराजक सत्ता सच को कभी भी स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं होती है। इस कसौटी पर मनमोहन सिंह और कांग्रेस अपनी नाकामियाबियों को स्वीकार करेगी तो क्यों और कैसे? झूठ, फेरब और भ्रष्टाचार के सहारे मनमोहन सिंह की सत्ता चल रही है। मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल का कौन सा मंत्री अपवाद है, जिस पर आरोप नहीं हैं?मनमोहन सिंह के लिए...

दरअसल ऊर्जा का कोई भार नहीं होता। भाररहित सृष्टि होती नहीं। भार के कारण ही सृष्टि बनी। तब प्रश्न है कि भार कहां से आया? वैज्ञानिकों ने अब कुछेक ‘भारविहीन’-ऊर्जा कण भी देखे हैं। समझने के लिए कह सकते हैं कि कुछेक कणों में चेतना ऊर्जा तो है, लेकिन उनका शरीर नहीं। जैसे सभी प्राणियों में चेतना है, लेकिन अदृश्य है। शरीर दृश्य...

उच्चतम न्यायालय के लिखित अवलोकन राष्ट्रपति चुनाव में भी समान शक्ति के साथ लागू होंगे। इसके अनुरूप, निर्वाचन आयोग के विचार में, राष्ट्रपति चुनाव में अपनी इच्छा के अनुरूप वोट देना या नहीं देना भारत के संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत अयोग्यता के दायरे में नहीं आएगा और राष्ट्रपति चुनाव में मतदाता अपनी स्वतंत्र...

बाबू जगजीवन राम स्पष्ट कहा करते थे-‘मुझे तो यहां पर कोई भी हिंदू नहीं दिखाई देता, यहां तो सिर्फ जातियां हैं और वे भी छोटी-छोटी उपजातियों में बंटी हुई हैं। हिंदू तो जातियों का समूह है, जो एक-दूसरे को न केवल ऊंचा-नीचा मानता है, बल्कि उनमें गहरी खाई और अविश्वास भी है।’ यह कथन आज भी उतना ही प्रासंगिक है कि देश में लोकतंत्र के स्थान...

पेस के हवाले से यह कयास लगाए जा रहे थे कि वे विष्णुवर्द्धन के साथ जोड़ी बनाने से इनकार कर देंगे, लेकिन देश हित में अपने करिअर के 22 साल समर्पित कर कालजयी सफलताएं अर्जित करने वाले पेस ने विष्णु जैसे जूनियर खिलाड़ी के साथ जोड़ी बनाने के अखिल भारतीय टेनिस संघ के निर्णय को शिरोधार्य कर फिर उस बड़प्पन और महानता का परिचय दिया है, जो...

नए शोध का निष्कर्ष अगर स्थापित हो जाता है तो यह निष्कर्ष कार्य और कारण के सिद्धांत को भी पलट कर रख देगा। अभी तक माना जाता था, पहले कारण होता है और उसके बिना पर ही कोई कार्य होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस ब्रह्मांड में न्यूट्रिनो प्रकाश की गति के लिए चुनौती है। उनका कहना है कि अगर प्रकाश की गति सबसे तेज नहीं है, तो यह पूरा...

प्रतीक्षा, मिलन और विरह की अविरल सहेली, निर्मल और लज्जा से सजी-धजी नवयौवना की आसमान छूती खुशी, आदिकाल से कवियों की रचनाओं का श्रृंगार कर, उन्हें जीवंत करने वाली ‘कजरी’ सावन की हरियाली बहारों के साथ तेरा स्वागत है। मौसम और यौवन की महिमा का बखान करने के लिए परंपरागत लोकगीतों का भारतीय संस्कृति में कितना महत्व है-कजरी इसका...

मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्रालय संभालते ही अधिकारियों से कहा है कि वर्तमान में हम आर्थिक रुप से चुनौतिपूर्ण समय से गुज़र रहे हैं, वृद्धि दर में गिरावट आई है, औद्योगिक प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, निवेश के संदर्भ में भी चीजें अनुकूल नहीं हैं और मुद्रास्फीति की समस्या जारी है, हमें अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना होगा।...

जी-20 सम्मेलन में काले धन के मुद्दे पर क्या राय थी और क्या यह मुद्दा अप्रासंगिक हो चुका है या फिर इसमें कोई सुधार हुआ है? प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, यह समस्या बरकरार है, इसके समाधान के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है, यह बेहद धीमी प्रक्रिया होगी। वित्तीय प्रबंधन के मामले में भी कुछ समस्याएं...

पिछले डरबन सम्मलेन और अब इस रियो+20 सम्मेलन में भारत उस तरह मुखर नहीं नज़र आया है। तेजी से विकसित हो रहे चार देशों के ‘बेसिक’ समूह में अब ब्राजील और चीन के प्रतिनिधि ज्यादा सक्रिय नजर आते हैं, हमारी स्थिति लगता है, बस चौथे देश दक्षिण अफ्रीका से बेहतर रह गई है! विचित्र बात यह है कि ख़तरनाक ग्रीनहाउस गैसों का प्रसार दुनिया में...
सरकार से लोग जितने निराश हैं, विपक्ष को लेकर उससे कम मायूस नहीं हैं, चाहे केंद्र का मामला हो या राज्यों का। यही कारण है कि अब सवाल पूरी संसदीय राजनीति को लेकर उठ रहे हैं और राजनीतिक तौर पर पहली बार लोकतंत्र ही कठघरे में खड़ा दिखता है, क्योंकि जिन माध्यमों के जरिये लोकतंत्र को देश ने कंधे पर बिठाया उन माध्यमों ने ही लोकतंत्र को सत्ता की परछाईं तले ला दिया है और सत्ता ही लोकतंत्र का पर्याय...