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तिरूवनंतपुरम। हिमाचल से केरल की यात्रा पर आए हिंदी के जाने-माने लेखक एसआर हरनोट का यूनिवर्सिटी कालेज के हिंदी विभाग और हिंदी विद्यापीठ के अलग-अलग आयोजनों में सम्मान किया गया। पहला आयोजन हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ एस एस विनयचंदरन की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें यूनिवर्सिटी कालेज के एमए, एमफिल और पीएचडी के छात्रों सहित प्राध्यापकों ने भाग लिया।
डॉ विनयचंद्रन ने हरनोट का स्वागत करते हुए कहा कि हम और हमारे छात्र हरनोट को अर्से से पढ़ते आए हैं और आज उन्हें यहां अपने बीच पाकर हमें बेहद प्रसन्नता हो रही है। केरल में हरनोट की कहानियां, पाठकों और छात्रों के बीच पहले से ही चर्चित और लोकप्रिय रही हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि यहां एक छात्रा हरनोट के समग्र रचना संसार पर पीएचडी कर रही है। डॉ विनय ने कहा कि इससे पहले बहुत से बड़े लेखक यहां आते रहे हैं, उन्होंने भी हरनोट की रचनाओं की प्रशंसा की है, निसंदेह यहां आने से उनका पाठकवर्ग और अधिक बढ़ेगा।
विभाग के ही सहायक प्राध्यापक डॉ प्रकाश ए ने उनकी रचनाओं की प्रशंसा की। सभागार में उपस्थित शोध छात्रों और छात्राओं ने हरनोट की कहानियों और उपन्यास हिडिंब पर अनेक प्रश्न पूछे, जिनके उन्होंने संतोषजनक उत्तर दिए। हिडिंब उपन्यास के साथ हरनोट के बहुचर्चित संग्रह दारोश, जीनकाठी और मिट्टी के लोग की कई कहानियां इस दौरान विमर्श के केंद्र में रही। हरनोट ने यूनिवर्सिटी कॉलेज और उपस्थित प्राध्यापकों और छात्रों का अपने सम्मान के लिए धन्यवाद किया और अपनी रचनाशीलता के साथ हिमाचल के साहित्यिक परिदृश्य पर भी विस्तार से बात की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिमाचल में हिंदी की रचनाशीलता को साहित्य जगत में गंभीरता से लिया जा रहा है। हिमाचल में जहां सुरेश सेन निशांत जैसे युवा कवि रचनाकार हैं तो दूसरी ओर श्रीनिवास श्रीकांत जैसे अति वरिष्ठ कवि-आलोचक ने कविता और आलोचना के नए मुहावरे गढ़े हैं, यही कारण है कि वहां के लेखन को अब साहित्य की मुख्यधारा में गंभीरता से लिया जा रहा है।
दूसरा आयोजन हिंदी विद्यापीठ केरल के सभाकक्ष में प्रसिद्ध विद्वान लेखक-आलोचक डॉ एमएस जयमोहन की अध्यक्षता में हुआ, जो हिंदी विद्यापीठ से सक्रिय रूप से तो जुड़े ही हैं, अपितु विद्यापीठ की प्रसिद्ध पत्रिका ’संग्रथन’ के भी मुख्य संपादक हैं। उन्होंने हरनोट के सम्मान में विस्तृत वक्तव्य दिया और कहा कि उनके लिए हरनोट का विद्यापीठ में पधारना गौरव की बात है, क्योंकि ’संग्रथन’ में उनकी बहुत सी रचनाएं प्रकाशित होकर चर्चित हुई हैं, वे यहां के पाठकों और शोध छात्रों और हिंदी के पाठकों के बीच पहले से ही लोकप्रिय और चर्चित हैं।
उन्होंने हरनोट को हिंदी का महत्वपूर्ण लेखक कहा और आशा व्यक्त की कि अभी केरल में एक छात्रा ही हरनोट की रचनाओं पर पीएचडी के लिए शोघरत है, जबकि भविष्य में उनकी रचनाओं पर बहुत से छात्र शोध के इच्छुक हैं, यहां भी हरनोट से छात्रों ने विशेषकर उनके उपन्यास के साथ उनकी कहानियां ‘मां पढ़ती है’, जीनकाठी, एम डाट काम, मोबाइल इत्यादि को लेकर अनेक प्रश्न पूछे।
हरनोट ने डॉ एमएस जयमोहन का आभार व्यक्त किया कि उनके कारण ही उनकी केरल यात्रा इतनी सफल रही है और उन्होंने संग्रथन में रचनाएं प्रकाशित करके यहां उनका एक बड़ा पाठकवर्ग तैयार किया है। उन्होंने इस बात के लिए भी उनकी प्रशंसा की कि वे हिंदी विद्यापीठ और केरल जैसी जगह पर हिंदी के लिए महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं, जो बहुत बड़ी बात है।