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माउंट आबू। प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय शांति वन में विजन एण्ड वैल्यूज फॉर ए न्यू सोशल ऑर्डर विषय पर नेशनल मीडिया कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई जिसमें मीडिया की जिम्मेदारियों पर गहन विचार विमर्श के साथ यह अपेक्षा की गई कि मीडिया समाज देश और सत्ता के बीच में सकारात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहन दे क्योंकि यही एक माध्यम है जो देश-दुनिया में नकारात्मक को सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है। मीडिया के नकारात्मक प्रस्तुतिकरण पर भारी चिंता व्यक्त की गई और उन उपायों पर प्रकाश डाला गया जो समाज को सही दिशा देने में समर्थ हैं। इस कॉन्फ्रेंस में भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जीएन रे सहित मीडिया जगत और समाज के जागरूक चिंतकों ने भाग लिया।न्यायमूर्ति जीएन रे का कहना था कि यह चिंता की बात है कि मीडिया नकारात्मक चीजों को आगे ला रहा है जिससे समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने कुछ विदेशी समाचार पत्रों की नीतियों और उनमें समाचारों के प्रस्तुतिकरण पर बोलते हुए कहा कि वे अपने समाज और देश के प्रति रचनात्मक भूमिका का पूरी जिम्मेदारी से निर्वहन करते हैं। ये समाचार पत्र उन समाचारों को प्रमुखता नहीं देते जो सामाजिक विध्वंस को प्रोत्साहित करते हैं जबकि हमारे यहां इसका उल्टा है। यहां के समाचार पत्र और समाचार चैनल यदि सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ चलें तो यह भारत के प्रगतिशील समाज की प्रगति के लिए बहुत अच्छा होगा। उनका यह भी कहना था कि भारतीय समाज का रोज प्रात:काल समाचार पत्रों से सामना होता है जिनमें अधिकांशतया नकारात्मक ख़बरों की प्रमुखता होती है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे दिन की शुरूआत ही नकारात्मकता से ही होती है तो सकारात्मक पक्ष स्वत: ही नष्ट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आज मीडिया एक व्यवसाय बन गया है।इस मौके पर ऑल इंडिया स्मॉल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शिव शंकर त्रिपाठी ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि मीडिया कॉन्फ्रेंस एक ऐसे स्थान पर आयोजित हो रही है जहां मनुष्य की योग के माध्यम से शांति और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की शुरूआत होती है अर्थात जहां नकारात्मक दृष्टिकोण के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि मीडिया में राजनीतिक और सत्ता परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका है तो मीडिया को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को भी समझना होगा और भ्रष्टाचार के विरूद्ध भी समाज में एक चेतना पैदा करनी होगी। उन्होंने कहा कि मीडिया के लोग योग और ध्यान से एक अच्छी सोच पैदा कर सकते हैं जिसका की समाज को लाभ मिलेगा।विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका पीके जानकी दादी ने इस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में योग और शिक्षा का वातावरण मीडिया के लिए काफी प्रेरणादायी है जिसका मीडिया समाज की और ज्यादा बेहतरी के लिए उपयोग कर सकता है। उनका कहना था कि मेडिटेशन के माध्यम से समाचार पत्र या दूसरे समाचार माध्यम समाज को सकारात्मक रास्ता दिखाएं। कॉन्फ्रेंस में न्यायमूर्ति जीएन रे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। दीप प्रज्वलन से कॉन्फ्रेंस की शुरूआत हुई। इस अवसर पर भारी संख्या में देश भर के मीडिया प्रतिनिधि मौजूद थे जिन्होंने कॉन्फ्रेंस के उद्देश्यों को काफी गंभीरता से लिया। यह चार दिन की कॉन्फ्रेंस थी जो 17 से 21 सितम्बर तक चली। मीडिया कॉन्फ्रेंस के संयोजक बीके करूणा ने मीडिया प्रतिनिधियों एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया।