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लखनऊ। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव डॉ एस अय्यप्पन ने मीडिया संसाधन केन्द्र, सीआईएसएच दूरभाष सहायता सेवा और आगंतुक कक्ष का उद्घाटन किया। संस्थान के निदेशक डॉ एच रविशंकर ने इस अवसर पर बताया कि यह सुविधा किसानों, फल उत्पादकों, सहभागियों, उद्यमियों और उद्योग जगत से जुड़े लोगों के लिए वैज्ञानिकों से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सीधे जुड़ने का एक उपयुक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि इससे किसान या बागवानी से जुड़े अन्य सभी फलों की नई किस्मों के विकास, उत्पादन प्रौद्योगिकियों, कीट एवं रोग प्रबन्धन, फार्म मशीनरी का विकास एवं उत्पादों का मूल्य संवर्धन, फल विपणन और बदलते जलवायु परिवेश में उत्पन्न बागवानी संबंधी अन्य समस्याओं के समाधान में सहायक होगा। यह दूरभाष सहायता सेवा प्रत्येक शुक्रवार को पूर्वाह्न 10:30 बजे से अपराह्न चार बजे तक दूरभाष 0522-2841082 पर उपलब्ध होगी।
डॉ एस अय्यप्पन ने रहमानखेड़ा प्रयोगशाला परिसर के विस्तार की आधारशिला रखी। उन्होंने संस्थान के 38 वर्षों के कार्यकाल में किये गये वैज्ञानिक अनुसंधानों की चर्चा करते हुए तारीफ की और लाभ (प्रॉफिट) प्रतिष्ठा (प्रेस्टिज) और साझेदारी (पार्टनर शिप) मोड (पीपीपी) को कृषि विकास के लिए एक नये प्रारूप में अपनाये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह मोड किसानों के लिए हितकारी होगा और कृषि को एक नया आयाम देगा। डॉ अय्यप्पन ने बताया कि आने वाले वर्षों में शुष्क बागवानी और उपेक्षित फलों पर कार्य किया जायेगा। उन्होंने कृषि उत्पादकता में स्थिरता, ऊतक क्षय समस्या, जेली फरमेशन, आम में झुमका और बागवानी फसलों में अवशेष प्रबन्धन पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कार्य किये जाने पर बल दिया। डॉ एचपी सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने संस्थान में विकसित अमरूद में सघन बागवानी प्रौद्योगिकी की तारीफ करते हुए कहा कि यह प्रौद्योगिकी देश के अनेक हिस्सों में अपनाई जा रही है और इससे दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में लगभग 40 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता प्राप्त की जा रही है।
डॉ एच रविशंकर ने संस्थान में विकसित जीर्णोंद्धार प्रौद्योगिकी, सघन बागवानी, समेकित रोग एवं कीट प्रबन्धन, उत्पाद में मूल्य संवर्धन और फल अवशेष प्रबन्धन प्रौद्योगिकियों की चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान वेबसाइट के माध्यम से किसानों को समय-समय पर बागवानी सम्बंधित जानकारी दी जाती है। इस अवसर पर डॉ बी मीना कुमारी, उप महानिदेशक (फिशरी), डॉ आरपी सिंह भूतपूर्व कुलपति एमपीयूएटी उदयपुर, डॉ एसएएच आबिदी पूर्व सदस्य भारतीय कृषि चयन मण्डल, डॉ आरएल यादव निदेशक आईआईएसआर, डॉ मथुरा राय सेवानिवृत्त निदेशक भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान बनारस, डॉ एसके पाण्डेय सेवानिवृत्त निदेशक, डॉ पीएस पाठक सेवानिवृत्त निदेशक भी उपस्थित थे।