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किसानों की राह आसान बना रही है एक्सेस

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नई दिल्ली। एक्सेस ने एग्रीकल्चर बेस्ड लाइवलीहुड ऑपरचुनिटीज एंड पोटेंशियल विषय पर लाइवलीहुड इंडिया कांफ्रेस का आयोजन किया। देश के गरीबों के उत्थान के लिए समय-समय पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं में यह संस्था एक है। इस आयोजन में देश-विदेश से करीब 600 डेलीगेट्स ने भाग लिया। इसमें गरीबों और किसानों के उत्थान के लिए नए तरीकों पर विशेष जोर दिया गया। भारत में जहां कुल जनसंख्या की 70 फीसदी आबादी अभी भी गांवों में है, जिसकी जीविका का प्रमुख आधार खेती है। ग्रामीण जीवन की स्थियों में सुधार लाने के लिए ये स्वयंसेवी संस्था काम कर रही है। कांफ्रेस में स्टेट ऑफ इंडियाज लाइवलीहुडस (स्वायल) रिपोर्ट दो हजार दस रिलीज की गई। इसका संपादन शंकर दत्त और विपिन शर्मा ने किया है। रिपोर्ट में भारत के गरीबों और किसानों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं के साथ-साथ एग्रीकल्चर सेक्टर में फाइनेंस की जरूरतों को बताया गया है।

भारत में एक लम्बे अर्से से किसानों और गरीबों के बीच में काम करने और उनकी समस्याओं को समझने की महती जरूरत महसूस की जा रही थी, जिसको लेकर एक्सेस ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उसने किसानों, आदिवासियों और दूसरे गरीब लोगों के हाथों से बने सामान को अंर्तराष्ट्रीय परिदृश्य पर लाने का काम किया है। ओडी टू अर्थ के राष्ट्रीय स्तर की शुरूआत इसी तरह की असमानता को दूर करने का एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है। इस तरह संस्था के जरिये अलग-अलग राज्यों के ग्रामीण इलाकों में जाकर उनके सामान को परख कर बाजार के मूड के हिसाब से बिकवाने का काम करती रही है। इस वजह से गरीब और दबे कुचले किसान अच्छी कीमत तो पाते ही हैं साथ ही अपने हुनर को भी दुनिया के सामने लाने में सफल होते हैं।

संस्था के सीईओ विपिन शर्मा के मुताबिक उनकी संस्था ने राजस्थान के उदयपुर के पांच हजार आदिवासियों के साथ अदरख को उगाने में आने वाली परेशानियों को दूर किया है। अदरख की फसल में लगने वाले रोग से किसान काफी परेशान थे, उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता था, जिसको संस्था ने योग्य वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करके दूर किया है। इससे अदरख के उत्पादन में करीब तीस फीसदी इजाफा हुआ और अदरख की खेती करने वाले किसान आज खुशहाल हैं। इस संस्था के सीईओ जल्द ही जनवरी तक अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के साथ मिलकर वुमेन इंपावरमेंट प्रोग्राम के जरिए सवाई माधवपुर में मिर्ची के प्रोडक्शन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। किसानो के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने उत्पाद की समुचित मार्केटिंग है, जिसके चलते वो फसल को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए विवश हो जाते हैं। ये संस्था किसानों की इस समस्या को दूर करने में लगी हुई है और समय- समय पर अपने कार्यक्रमों के जरिए लोगों जागरूक करने में प्रयासरत है।

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