स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। दुनिया भर से आए सिनेमा का समारोह मनाते हुए इफ्फी-2010 ने उन फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और कलाकारों को याद किया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने संसार से विदा ले ली है। श्रद्धांजलि के रूप में भारतीय सिनेमा के अविस्मरणीय अध्याय के रूप में इफ्फी ने उनके कार्यों का जश्न मनाया। ग्यारह कलाकार और फिल्म निर्माता, जिन्हें इफ्फी ने उनके साहकारों के प्रदर्शन के जरिए सलाम किया है, वे हैं-रवि बासवानी, पामेला रुक्स, देबु देवधर, ताहिर हुसैन, के अश्वरथ, केशू रामसे, अबरार अल्वी, सुजीत कुमार, बीना राय, निर्मल पांडे और विष्णु वर्धन।राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक अभिनेता निर्मल पांडे पहली बार शेखर कपूर की प्रसिद्ध फिल्मी बैडिंट क्वीन (1996) में विक्रम मल्लाह के रूप में दिखाई दिए और प्रसिद्धि प्राप्त की। उसके पश्चात उन्होंने दूरदर्शन के साथ-साथ भारतीय सिनेमा में अनेक फिल्मों में नकारात्मक चरित्रों में दमदार भूमिका निभाई। उनकी कुछ प्रसिद्ध फिल्में हैं- इस रात की सुबह नहीं, प्यार किया तो डरना क्या, वन टू का फोर और शिकारी। कुंदन शाह की प्रसिद्ध कॉमेडी फिल्म जाने भी दो यारो (1983) में अल्पावधि फोटोग्राफर के रूप में सुधीर मिश्रा ने फिल्मांकन किया, प्रसिद्ध रवि बासवानी बहुत प्रतिभाशाली अभिनेता और फिल्मी निर्माता थे, उनको फिल्मों में चरित्र भूमिकाओं को सशक्त ढंग से निभाने के लिए प्रसिद्धि प्राप्त हुई। अपने 30 वर्ष के कैरियर में बासवानी ने 26 फिल्मों में अभिनय किया। सन् 1980 के दशक में इधर-उधर जैसे अनेक प्रसिद्ध टेलीविजन सीरियलों में भी कार्य किया। निर्माता निर्देशक और लेखक ताहिर हुसैन को ब्लॉक बस्टर फिल्मों जैसे हम हैं राही प्यार के (1993), जख्मी (1975), अनामिका (1973) और कारावन (1973) के प्रसिद्ध निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 1990 में निर्मित तुम मेरे हो फिल्म में पहली बार आमिर को निर्देशित किया था, जिसकी कहानी उन्होंने स्वयं लिखी थी।पामेला रुक्स ने वृत्तचित्रों और फिल्मों में प्रवेश से पहले फाइनल एक्सपोजर नामक काव्य पुस्तिका और मिस बेटी चिल्ड्रेन उपन्यास के प्रकाशन के साथ अपना साहित्यिक जीवन शुरू किया था। चिपको आंदोलन पर उनके कुछ प्रसिद्ध वृत्तचित्र हैं। उनकी पहली फीचर फिल्म 1992 में निर्मित मिस बेटी चिल्ड्रेन ने राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त किया था। प्रसिद्ध छायाकार देबु देवधर जो भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान पुणे से छायांकन में विशेषज्ञ स्नातक थे, उन्होंने राजदत्ती, अमोल पालेकर, अजीत मिर्जा, नाना पाटेकर, भीमसेन और बहुत से अन्यश निर्देशकों के लिए कार्य किया। वरिष्ठ कन्नड़ अभिनेता केएस अश्वथ ने अपना कैरियर थियेटर कलाकर के रूप में शुरू किया था और 1950 के दशक में कन्नड़ फिल्मों में प्रवेश किया। उन्होंने स्त्रीररत्नु फिल्म में स्वतंत्र हीरो के रूप में अभिनय किया। तीन सौ सत्तर फिल्मों में उन्होंने विशिष्ट और प्रसिद्ध भूमिकाएं निभाईं। भूपति उनकी आखिरी फिल्म थी।बीना राय को फिल्म अनारकली और ताजमहल में उनकी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है। बीना राय को किशोर साहू काली घटा (1951) में पहली बार पर्दे पर लाए थे, किन्तु उन्हें अनारकली (1953) से प्रसिद्धि प्राप्त हुई। अभिनेता प्रदीप कुमार के साथ बीना राय की फिल्मों को सर्वोत्तम अभिनय के लिए याद किया जाता है। फिल्म निर्माता केशू रामसे को उनके भाई के साथ भारत में हॉरर-फिक्शेन फिल्मों के जनक के रूप में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त है। केशू रामसे ने फिल्म हवेली के प्रदर्शन के साथ हिंदी फिल्म निर्माण में प्रवेश किया और वाणिज्यिक फिल्म के निर्माण के अलावा उन्होंने कुछ हॉरर फिल्में भी निर्देशित कीं।सुजीत कुमार लाल बंगला और एक साल पहले जैसे सस्पेंस थ्रिलर वाली 1960 के दशक की फिल्मों के अग्रणी नायक थे। वे भोजपुरी सिनेमा के सबसे बड़े अभिनेता थे और फिल्म उद्योग के प्रसिद्ध चरित्र अभिनेताओं में से एक थे। प्रसिद्ध लेखक, निर्देशक, अभिनेता और लंबे समय तक गुरू दत्त के सहयोगी रहे अबरार अल्वी, साहब बीवी और गुलाम (1962) जैसी क्लासिक फिल्मों के लिए प्रसिद्ध हैं। इस फिल्म के निर्देशक के लिए उन्हें राष्ट्रपति रजत पदक से नवाजा गया था और अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी। विष्णु वर्धन बहुत प्रसिद्ध और बहुमुखी प्रतिभा के धनी कन्नड़ अभिनेताओं में से एक थे। विष्णु वर्धन ने गिरीश कर्नाड निर्देशित राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म वामशावरुक्ष से अपनी फिल्मी पारी की शुरूआत की थी और उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में अनेक भूमिकाएं निभाईं।