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अलकनंदा पर पनबि‍जली परि‍योजना

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नई दिल्ली। केन्‍द्रीय वि‍द्युत प्राधि‍करण (सीईए) ने अलकनंदा नदी पर 2584 मेगावाट की कुल क्षमता के साथ पनबि‍जली परि‍योजनाओं की 8 योजनाओं के साथ अनुबंध कि‍या है। सांवि‍धि‍क स्‍वीकृति‍ खासतौर पर पर्यावरणीय स्‍वीकृति‍ वि‍स्‍तृत पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईएलए) के अध्‍ययनों के बाद ही दी जाती है। ईआईए अध्‍ययन काफी व्‍यापक है और इनमें परि‍योजनाओं के कारण वि‍स्‍थापि‍त हुए लोगों को फि‍र से बसाने के अलावा वन्‍य जीव-जन्‍तुओं, क्षेत्र की जैव-विवि‍धता और पारि‍स्‍थि‍ति‍की पर पड़ने वाले प्रभाव भी शामि‍ल हैं। इसके अति‍रि‍क्‍त नाग‍रिकों की रूचि‍ का भी ध्‍यान रखा जाता है। उत्‍तराखंड में पनबि‍जली परि‍योजनाओं के वि‍कास को प्रभावि‍त करने वाली मुख्‍य चिंता इनका गंगा नदी पर पड़ने वाला पारि‍स्‍थि‍ति‍की प्रभाव है। पर्यावरण और वन मंत्रालय ने वि‍भि‍न्‍न पनबि‍जली परि‍योजनाओं के पर्यावरण पर पड़ने वाले समग्र प्रभाव के अध्‍ययन के लि‍ए भारतीय वन्‍यजीव संस्‍थान, देहरादून को नि‍र्दि‍ष्‍ट कि‍या है।

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