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अतुल माहेश्वरी के निधन से मीडिया जगत स्तब्ध

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अतुल माहेश्वरी

नोएडा। अमर उजाला समूह के प्रबंध निदेशक और मीडिया जगत म्रें अतुल जी और अतुल भाई साहब के नाम से विख्यात अतुल माहेश्वरी नहीं रहे। एक संक्षिप्त बीमारी ने केवल 55 वर्ष की आयु में उन्हें पत्रकारिता जगत से छीन लिया। उनके परिवार में पत्नी स्नेह लता माहेश्वरी, पुत्र तन्मय माहेश्वरी, पुत्री अदिति और छोटे भाई राजुल माहेश्वरी हैं। तन्मय माहेश्वरी ने यमुना तट पर शमशान घाट पर अपने पिताश्री को नम आंखों से मुखाग्नि दी। इस मौके पर शोक में डूबे हर क्षेत्र के हज़ारों दिग्गज लोग मौजूद थे। अतुल माहेश्वरी के निधन पर शोक व्यक्त करने वालों का तांता लगा है। तीन मई 1956 को दिल्ली में जन्में अतुल माहेश्वरी ने अपने पिताश्री मुरारी लाल माहेश्वरी से अमर उजाला के रूप में पत्रकारिता की यह लोकप्रसिद्ध विरासत संभाली थी जिसका संचालन करते हुए वे शिखर पर पहुंचे और वहां से महाप्रयाण कर गए।

उत्तर भारत में हिंदी पत्रकारिता के उल्लेखनीय विकास और पत्रकारिता की नर्सरी को पूरी स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक तरीके से फलते-फूलते देखकर सदैव खुश और हंसमुख दिखाई देने वाले अतुल माहेश्वरी का अल्प आयु में जाना हिंदी पत्रकार जगत पर एक गहरे पक्षाघात से कम नहीं है। अमर उजाला के संस्थापक सदस्य और अपने पिताश्री मुरारी लाल माहेश्वरी के पत्रकारिता से लेकर प्रबंधन तक के पल-पल के संघर्षों से तपकर निकले और उनके कारवां को इतनी ऊंचाईयों तक ले जाने वाले अतुल माहेश्वरी ने अपने सहयोगियों के लिए एक अभिभावक, एक शिक्षक, एक भाई, एक दोस्त और एक कुशल प्रबंधन की भूमिका को जिस अंदाज में निभाया मीडिया जैसे कठिन क्षेत्र में वह हर किसी के वश में नहीं है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में अतुल माहेश्वरी को प्रसन्न चित देखा गया। उन्होंने विभिन्न विचारों के लोगों के बीच संतुलन स्थापित कर कार्य का अच्छा वातावरण बनाया। उनका स्थान अब सदैव खाली रहेगा। यह घटना हिंदी पत्रकारिता के लिए एक सदमा है और उन लोगों के लिए गहरा झटका है जो अतुल माहेश्वरी में हमेशा अपना सुनहरा भविष्य खोजते थे। अमर उजाला संस्थान में एक लोकतांत्रिक वातावरण विकसित करने वाले अतुल माहेश्वरी में लोगों ने कभी 'मालिक' नहीं देखा। उन्हें हर कोई अतुल जी या भाई साहब कहकर पुकारते देखा गया। 'सर' की उपाधि की उनमें कोई तमन्ना नहीं दिखी। उन्होंने गांव-कस्बे से पत्रकारिता क्षेत्र के दिग्गज निकाले। क्षेत्रीय पत्रकारिता को प्रोत्साहन दिया। अनेक बिगड़ैल राजनेताओं, नौकरशाहों और स्थानीय प्रशासन को अपनी हद में रहने के लिए मजबूर किया और अपने संवाददाता को कमज़ोर नहीं होने दिया, उसका मान बढ़ाया। अमर उजाला बरेली में अतुल माहेश्वरी ने संपादकीय में अनेक प्रयोग किए।

अतुल माहेश्वरी के साथ रहने वाले नए और पुराने एवं उनसे एक बार मिलने वाले आज उनके निधन की ख़बर से अत्यंत दुखी हैं। उनके निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में देश-विदेश के राजनेता, पत्रकार, सामाजिक और औद्योगिक जगत के लोग शामिल हैं। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि अतुल माहेश्वरी की पत्रकारिता समझ से अमर उजाला समूह की आम आदमी तक पहुंच बनी। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि अतुल माहेश्वरी ने ग्रामीण जीवन पर केंद्रित पत्रकारिता को बढ़ावा दिया, उनके निधन से पत्रकारिता को अपूरणीय क्षति हुई है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वे हमेशा पत्रकारिता के स्थापित मानदण्डों के प्रति समर्पित रहे, वह एक सरल मृदुभाषी और मिलनसार इंसान थे। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि उन्होंने पत्रकारों और पत्रकारिता को एक दिशा दी। पंजाब के राज्यपाल शिवराज पाटिल ने कहा कि यह पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है। केंद्रीय मंत्री पवन बंसल ने कहा कि उन्होंने अमर उजाला को काफी दूर तक स्थापित किया। गढ़वाल के सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि प्रिंट मीडिया ने एक प्रख्यात समाजसेवी, कुशल प्रबंधक और ओजस्वी पत्रकार खो दिया है। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि अमर उजाला अतुल माहेश्वरी के नेतृत्व में बुलंदियों तक पहुंचा है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने हिंदी पत्रकारिता के कई कीर्तिमान बनाए हैं। रालोद के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह ने कहा कि उन्होंने अखबार को कभी बिजनेस नहीं बनने दिया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी, पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया, भाकियू के अध्यक्ष महेंद्र सिंह टिकैत, भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी, भाजपा नेता कलराज मिश्र, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा, भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, हिमांचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमसिंह धूमल, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, लंदन में कथायूके सम्मान के महासचिव तेजेंदर शर्मा, अनेक जानेमाने पत्रकारों, साहित्यकारों, संपादकों, लेखकों और विचारकों आदि ने गहरा दुख और शोक व्यक्त किया है।

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम परिवार पत्रकारिता के इस महापुरूष को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

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