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राजों की बावली पर एएसआई का कार्य पूरा

देश में ऐतिहासिक जल प्रणालियों को बहाल करने की परियोजना

लोधी युग की वास्तुकला और पारंपरिक जल इंजीनियरिंग के प्रमाण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 17 May 2025 01:46:02 PM

asi's work on rajon ki baoli completed

नई दिल्ली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर की सुरक्षा की दिशामें एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वर्ल्ड मोनूमेंट्स फंड इंडिया और टीसीएस फाउंडेशन के सहयोग से नई दिल्ली के महरौली पुरातत्व उद्यान में 16वीं शताब्दी की ‘राजों की बावली’ का संरक्षण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह परियोजना डब्ल्यूएमएफआई की ‘भारत की ऐतिहासिक जल प्रणालियों’ पहल का हिस्सा थी, जिसे टीसीएस फाउंडेशन ने वित्तपोषित किया था, जो वर्ल्ड मोनूमेंट्स फंड की जलवायु विरासत पहल के अनुरूप है। यह जलवायु परिवर्तन के सामने जल प्रबंधन केलिए स्थायी समाधान के रूपमें पारंपरिक जल प्रणालियों को बहाल करने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
एएसआई की देखरेख में सफाई, गाद हटाने, संरचनात्मक मरम्मत और जल गुणवत्ता सुधार जैसे कार्य पारंपरिक सामग्रियों और तकनीकों के उपयोग से किए गए। बावली की गाद निकाली गई और उचित जल निकासी व्यवस्था से जोड़ा गया। जल की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद केलिए मछलियां डाली गईं। संरचना के मूल स्वरूप को बनाए रखने केलिए चूने के प्लास्टर और मोर्टार जैसी पारंपरिक सामग्रियों का उपयोग किया गया। स्थल की लोदी युग की प्रामाणिकता को बनाए रखने केलिए बहाली ऐतिहासिक अभिलेखों से निर्देशित थी। एएसआई और उसके सहयोगियों ने बावली के सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व के बारेमें जागरुकता बढ़ाने केलिए स्थानीय समुदायों केसाथ मिलकर काम किया। स्थल की दीर्घकालिक देखभाल सुनिश्चित करने केलिए शैक्षिक कार्यक्रम और सहभागी संरक्षण गतिविधियां तैयार की गईं।
लोदी राजवंश के दौरान लगभग 1506 में निर्मित राजों की बावली लोधी युग की वास्तुकला और पारंपरिक जल इंजीनियरिंग के प्रमाण के रूपमें खड़ी है। यह चार स्तरीय बावली न केवल पानी के भंडारण केलिए, बल्कि यात्रियों को छाया और विश्राम प्रदान करने केलिए सोच समझकर डिज़ाइन की गई थी। इसके सुंदर मेहराबदार स्तंभ, पुष्प और ज्यमितीय पैटर्न वाले नक्काशीदार स्टुको मेडेलियन और बारीक नक्काशीदार पत्थर की सजावट उस युग की कलात्मक उत्कृष्टता को दर्शाती है। करीब 1610 वर्ग मीटर के क्षेत्रमें फैली यह बावली 13.4 मीटर की गहराई तक जाती है, जिसका मुख्य टैंक इसके आधार पर23 गुणा 10 मीटर का है। राजों की बावली अब आमजनता केलिए भी खोल दी गई है।

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