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नरेंद्र मोदी की खामोश राजनीति में ऐतिहासिक फैसले

आखिर 'मोदी है तो मुमकिन है' देश का यह जनविश्वास यूं ही नहीं बना

देश और विदेश में उरी से लेकर पहलगाम तक की सफलता के चर्चे

Wednesday 21 May 2025 07:22:14 PM

शाश्वत तिवारी

शाश्वत तिवारी

narendra modi's silence (file photo)

गुजरात में गोधरा कांड केबाद नरेंद्र मोदी की चौबीस घंटे की खामोशी ने न केवल दंगों की आग पर नियंत्रण पाया, बल्कि एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसने तथाकथित 'माफिया वर्चस्व' को तोड़कर राज्य को हर प्रकार से स्थायित्व का मार्ग प्रशस्त किया है। यह वही गुजरात है, जिसका कच्छ और सरक्रीक क्षेत्र पाकिस्तान से सटा हुआ है, इसके बावजूद आज गुजरात देश के सबसे शांत, स्थिर और तेज़ी से प्रगति करने वाले राज्यों में शामिल है।
इशरत जहां और सोहराबुद्दीन मुठभेड़ प्रकरण में नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर अनेक गंभीर और मनगढ़ंत आरोप लगे। न्यायपालिका, मीडिया, विपक्षी और तथाकथित बुद्धिजीवी लगातार हमलावर थे। अमित शाह को तो जेल तक हुई, परंतु नरेंद्र मोदी ने तबभी सार्वजनिक रूपसे कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी और उनकी वह खामोशी उनका कवच बनी। एजेंसियों ने एक मुख्यमंत्री से घंटों पूछताछ की, लेकिन नरेंद्र मोदी ने मौन रहना ही उपयुक्त समझा, परिणामस्वरूप विधानसभा चुनावों में जनता ने उन्हें फिरसे भारी बहुमत दिया और गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया।
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री हुए तो उरी हमले केबाद शांत रहकर राष्ट्र को एक संदेश दिया। यह खामोशी भी निर्णायक निकली। भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करके दुनिया को बताया कि भारत किस प्रकार पराक्रम दिखाता है, क्योंकि तबभी दुनिया ने भारत का समर्थन किया और नरेंद्र मोदी को सराहा। पुलवामा हमले पर धैर्य से काम लेते हुए टीवी पर देश को भरोसा दिलाया और नरेंद्र मोदी फिर मौन हो गए। इसी रणनीति के साथ भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हमला कर पुलवामा का प्रतिशोध लिया। भारत के विंग कमांडर अभिनंदन की पाकिस्तान सरकार से वापसी सुनिश्चित कराई। यह नरेंद्र मोदी की रणनीतिक खामोशी की ही ताकत थी। लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से खूनी झड़प हुई, तो तबभी प्रधानमंत्री ने बहुत संयम और धैर्य का परिचय दिया। कोई आक्रामक बयान नहीं दिया, परंतु वे एक सशक्त और परिणामजनक रणनीति कार्य करते हुए दुनिया में सराहे गए।
चीन जैसे दादागिरी वाले देश को वैश्विक स्तरपर बैकफुट पर लाने का श्रेय कहीं न कहीं भारत के इस रणनीतिक राजनेता को जाता है। जी-7 जैसे मंचों पर भारत की प्रभावशाली उपस्थिति इस विश्वास को औरभी पुष्ट करती है। ये सभी उदाहरण स्पष्ट करते हैंकि जब-जब देश के मान-सम्मान और स्वाभिमान पर हमला करने की कोशिश हुई, नरेंद्र मोदी की खामोशी ने उसे एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूपमें बदल दिया। देश ने इस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक और अप्रत्याशित निर्णय देखे हैं। आज देश उन्हें अपना लोकप्रिय नेता मानता है और स्वयं को 'मोदीभक्त' कहने में गर्व महसूस करता है। नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह सोशल मीडिया पर बेबाकी से लिखना शुरू कर दिया तो विरोधियों की हालत का अनुमान लगाया जा सकता है। मोदी-शाह की भाजपा पारंपरिक राजनीति से अलग एक ऐसी कार्यशैली पर चल रही है, जो कांटे से कांटा निकालना जानती है। नरेंद्र मोदी की खामोश राजनीति में ये ऐतिहासिक फैसले हैं। आखिर 'मोदी है तो मुमकिन है' देश का यह जनविश्वास यूं ही नहीं बना है, जिसके देश और विदेश में उरी से लेकर पहलगाम तक की सफलता के चर्चे हैं।

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